अपने नागरिकों की स्वतंत्रता को बाधित करने पर क्यों तुला हुआ है इंडोनेशिया ?

By गौतम मोरारका | Dec 10, 2022

इंडोनेशिया आजकल काफी सुर्खियों में है क्योंकि वहां जो नयी आपराधिक संहिता आई है उसको लेकर दुनियाभर में सवाल खड़े किये जा रहे हैं। सवाल किये जा रहे हैं कि इंडोनेशिया क्यों अपने नागरिकों को कड़े कानूनों की जकड़न में जकड़ने जा रहा है? सवाल किये जा रहे हैं कि क्यों इंडोनेशिया अपने नागरिकों के स्वतंत्र जीवन को सहन नहीं कर पा रहा है? हम आपको बता दें कि इंडोनेशिया में 1918 की संहिता के स्थान पर अब जिस नयी आपराधिक संहिता को मंजूरी दी गयी है उसका विरोध भी हो रहा है लेकिन राष्ट्रपति जोको विडोडो की सरकार झुकने को राजी नहीं है।


इंडोनेशिया की नयी आपराधिक संहिता के प्रावधानों पर गौर करें तो यह काफी खतरनाक प्रतीत हो रहे हैं। इसके कई प्रावधान ऐसे हैं जो नागरिकों की कीमत पर शासन को सशक्त बनाते हैं। इस संहिता के जिन प्रावधानों का तगड़ा विरोध दुनियाभर में हो रहा है उनमें कामुकता विरोधी कानून सबसे प्रमुख है। इस प्रावधान के तहत इंडोनेशिया में अब विवाहेत्तर यौन संबंध के लिए एक साल तक की जेल की सजा है। इसके अलावा एक अन्य प्रावधान में कहा गया है कि जो जोड़े कानूनी रूप से विवाह किए बगैर एक साथ रहते हैं उन्हें भी जेल जाना पड़ेगा। ऐसी आशंका है कि इस कानून के जरिए इंडोनेशिया के हॉलिडे आइलैंड माने जाने वाले बाली में दुनियाभर से आने वाले अविवाहित विदेशी जोड़ों को निशाना बनाया जा सकता है। यहां विदेशी जोड़े जिस तरह अर्धनग्न अवस्था में रहते हैं उन पर अब कार्रवाई हो सकती है। बाली में दुनियाभर से पर्यटक आते हैं ऐसे में यदि उनके मन में कानून का डर बैठेगा तो वह यहां आने से हिचक सकते हैं। हालाँकि, नये प्रावधानों के तहत सेक्स अपराध ऐसे हैं, जिनमें शिकायत होने पर ही संज्ञान लिया जा सकता है। इसका मतलब है कि ऐसे मामलों में तब तक कानून लागू नहीं कर सकते जब तक कि परिवार का कोई करीबी सदस्य- पति या पत्नी, माता-पिता या बच्चा- मामले की सूचना पुलिस को नहीं देता।


हालांकि ऐसा लग रहा है कि नए प्रावधानों को कभी भी किसी अविवाहित विदेशी पर्यटक जोड़े के खिलाफ लागू नहीं किया जाएगा। हालांकि यह संभव है कि इंडोनेशिया के किसी परिवार द्वारा पुलिस को रिपोर्ट किए जाने पर इंडोनेशियाई साथी के साथ किसी विदेशी के खिलाफ उनका इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा नये प्रावधान परिवारों को लैंगिकता और साथी की पसंद के बारे में अपने विचार के आधार पर फैसला करने की स्वतंत्रता नहीं देते। यानि आप यह तय नहीं कर सकते कि आपको लड़के से शादी करनी है या लड़की से।


इंडोनेशिया में यह भी आशंका जताई जा रही है कि नए कानून का इस्तेमाल समलैंगिक लोगों को लक्षित करने के लिए किया जाएगा, जो इंडोनेशियाई कानून के तहत शादी नहीं कर सकते। हम आपको बता दें कि सिर्फ आचे प्रांत को छोड़कर इंडोनेशिया में समलैंगिकता वैसे अवैध नहीं है। लेकिन नए कानून के विरोधियों का कहना है कि यह समलैंगिक लोगों को एक लिहाज से अपराधी बनाता है। इसके अलावा गे और लेस्बियन लोगों को "अश्लील कृत्यों" पर रोक लगाने वाले एक अन्य प्रावधान के तहत लक्षित किए जाने की संभावना है क्योंकि आप खुले में किस या अन्य कामुकता भरे अंदाज को नहीं प्रदर्शित कर सकते हैं।

इसे भी पढ़ें: इंडोनेशिया में अब विवाहेतर यौन संबंध दंडनीय अपराध, दोषी को एक साल की जेल की सजा का प्रावधान

यही नहीं, इंडोनेशिया के नए कानून में ऐसे प्रावधान भी शामिल हैं जो गर्भनिरोधक के बारे में जानकारी के प्रसार पर किसी को जेल पहुँचा सकते हैं। यह प्रावधान स्पष्ट रूप से महिलाओं की स्वतंत्रता को सीमित करता है। एक अन्य प्रावधान गर्भपात कराने वाली किसी भी महिला को चार साल की सजा और इसे करने वालों के लिए लंबी अवधि की सजा तय करते हैं। हालांकि बलात्कार पीड़ितों और चिकित्सा की आपात स्थितियों में इसकी इजाजत होगी।


इसके अलावा, नए कानून में ऐसे प्रावधान भी हैं जो राष्ट्रपति और सरकार के सदस्यों सहित सार्वजनिक अधिकारियों का अपमान करने का अपराधीकरण करते हैं। यानि वहां नेताओं और अधिकारियों का अपमान किया तो खैर नहीं। इसके अलावा प्रावधानों में खुली बहस और प्रेस की स्वतंत्रता को भी बाधित किया गया है। साथ ही अन्य प्रावधान उन शिक्षाओं के प्रसार पर प्रतिबंध लगाते हैं जो देश या राज्य की विचारधारा के विपरीत हैं। माना जा रहा है कि इसे सरकार के आलोचकों के खिलाफ भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मानवाधिकार कार्यकर्ता प्रेस की स्वतंत्रता के दो अन्य प्रावधानों के प्रभाव के बारे में भी चिंतित हैं। पहला फर्जी समाचारों के प्रसारण और वितरण पर रोक लगाता है जिसके परिणामस्वरूप समुदाय में गड़बड़ी या अशांति होती है। इसके तहत दो साल तक की सजा होती है। दूसरा पत्रकारों के लिए और भी खतरनाक है। इसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो असत्यापित या अतिरंजित या अपूर्ण समाचारों को प्रसारित या वितरित करता है, उसे भी जेल का सामना करना पड़ेगा।

 

अन्य बहुत विवादास्पद प्रावधान ईशनिंदा से संबंधित हैं। यह कानून धर्म और धार्मिक जीवन पर बढ़ते प्रतिबंधों को दर्शाता है। माना जा रहा है कि इस प्रावधान के जरिये अल्पसंख्यक धार्मिक समूहों को सताया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो इससे इंडोनेशिया में समस्या बढ़ जायेगी।


बहरहाल, अधिकांश इंडोनेशियाई पर्यवेक्षक मानते हैं कि पिछले एक दशक में इंडोनेशिया में लोकतंत्र कमजोर हुआ है और नये कानूनी प्रावधान उसे और कमजोर कर देंगे। कुछ पर्यवेक्षक इसे फरवरी 2024 में होने वाले राष्ट्रपति और विधायी चुनावों से भी जोड़ कर देख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति जोको विडोडो अभी अपने दूसरे कार्यकाल में हैं और कानून के मुताबिक वह फिर से चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। देखा जाये तो धर्म और नैतिकता की पहचान की राजनीति ने हाल के वर्षों में इंडोनेशिया के कड़े संघर्ष वाले चुनावी मुकाबलों में बड़ी भूमिका निभाई है। इसीलिए नये कानूनी प्रावधान इस बात को बल देते हैं कि यह सब अगली चुनावी जीत के लिए किया गया एक सोचा-समझा प्रयास है।


-गौतम मोरारका

प्रमुख खबरें

Makeup Tips: एक बार हाईलाइटर लगाने से पहले जान लें ये जरुरी बातें, तभी खूबसूरत दिखेंगा चेहरा

Maharashtra Local Body Election Results । महायुति की बंपर जीत, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी

Delhi Airport Fight । आरोपी पायलट ने तोड़ी चुप्पी, यात्री पर लगाया जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप

UP Police Recruitment 2025: उत्तर प्रदेश पुलिस SI ASI पदों पर ऑनलाइन आवेदन शुरु हुए, जाने एजिलिबिटी और पूरी डिटेल