By नीरज कुमार दुबे | May 30, 2025
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने विभिन्न रक्षा अधिग्रहण परियोजनाओं के क्रियान्वयन में अत्यधिक देरी पर गंभीर चिंता जताते हुए इस मुद्दे को सुलझाने की वकालत की है। भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चले सैन्य संघर्ष के बाद अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में एयर चीफ मार्शल ने कहा कि ‘‘एक भी परियोजना’’ समय पर पूरी नहीं हुई है। उन्होंने हालांकि, सीआईआई बिजनेस समिट में अपनी टिप्पणी में परियोजनाओं का विशिष्ट विवरण नहीं दिया या उस अवधि का संदर्भ नहीं दिया कि परियोजनाओं में कब से हुई देरी भारतीय वायुसेना को प्रभावित कर रही है। वायुसेना प्रमुख ने सलमान खान अभिनीत फिल्म 'वांटेड' के संवादों का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया है, ‘‘एक बार जो हमने कमिट कर दिया है, (तो) फिर मैं अपनी आप की भी नहीं सुनता।’’ उन्होंने इस संवाद को उद्धृत करके इस बात पर जोर दिया कि रक्षा परियोजनाओं पर सशस्त्र बलों से की गई प्रतिबद्धताओं का पालन किया जाना चाहिए। अपनी स्पष्ट भाषा के लिए मशहूर एयर चीफ मार्शल एके सिंह ने कहा कि करीब एक दशक पहले भारतीय वायुसेना अपनी खरीद के लिए बड़े पैमाने पर ‘बाहर की ओर’ देख रही थी, लेकिन बदलाव के बाद इसने भारत के भीतर अवसरों की तलाश शुरू कर दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति ने ‘‘हमें एहसास कराया है कि आत्मनिर्भरता ही एकमात्र समाधान है’’।
वायुसेना प्रमुख के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सबसे अहम बात जो उभर कर आ रही है वह यह है कि अमेरिकी कंपनियां अपने वादे पूरे नहीं करतीं हैं या जानबूझकर वादे पूरे करने में देरी करती हैं। हम आपको बता दें कि 2021 में भारत की HAL (हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड) ने अमेरिका की GE (जनरल इलेक्ट्रिक) के साथ 716 मिलियन डॉलर का समझौता किया था, जिसके तहत अमेरिकी कंपनी को 99 F404-IN20 इंजन देने थे। शुरुआती डिलीवरी मार्च 2023 से शुरू होनी थी। आज 30 मई 2025 है। क्या आप जानते हैं, अब तक GE ने कितने इंजन दिए हैं? उत्तर है सिर्फ 1, हाँ, आपने सही पढ़ा– केवल एक इंजन अब तक दिया गया है। जबकि GE ने वादा किया था कि वे मार्च 2023 तक 99 इंजन दे देंगे, लेकिन मई 2025 तक वे सिर्फ एक इंजन ही दे सके हैं। रिपोर्टों के अनुसार, आगे की डिलीवरी योजना पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2025 में 11 इंजन, 2026 में 20 इंजन, 2027 में 20 इंजन, 2028 में 20 इंजन, 2029 में 20 इंजन और 2030 तक 8 इंजन मिलने हैं। लेकिन क्या संभव हो पायेगा, इस पर बहुत बड़ा प्रश्नचिह्न है।
हम आपको यह भी बता दें कि फरवरी 2021 में भारतीय वायुसेना ने HAL को ₹48,000 करोड़ का ऑर्डर दिया था। इसके तहत 83 तेजस Mk1A फाइटर जेट्स खरीदे जाने थे इसमें 73 सिंगल सीटर और 10 ट्रेनर वर्जन थे। GE द्वारा HAL को इंजन मार्च 2023 तक देने की प्रतिबद्धता के आधार पर, HAL ने वायुसेना से वादा किया था कि वे मार्च 2024 तक तेजस Mk1A जेट्स डिलीवर कर देंगे। लेकिन जब GE ने इंजन की सप्लाई रोक दी तब HAL को भी तेजस Mk1A की डिलीवरी रोकनी पड़ी। अब स्थिति यह है कि वायुसेना को नए लड़ाकू विमानों की सख्त ज़रूरत है। भारत को युद्ध की स्थिति में लगभग 50–60 स्क्वाड्रन फाइटर जेट्स की जरूरत है, लेकिन न्यूनतम आवश्यकता 42 स्क्वाड्रन मानी जाती है। हम आपको बता दें कि 1 स्क्वाड्रन में 18 फाइटर जेट्स होते हैं। सूत्रों के अनुसार, अभी भारतीय वायुसेना के पास सिर्फ 31 स्क्वाड्रन हैं, जो 1965 युद्ध के बाद का सबसे कम आंकड़ा है। हम आपको बता दें कि 1996 में भारत के पास 42 स्क्वाड्रन थे और 2013 में भी 35 स्क्वाड्रन थे। इसी कारण एयर चीफ मार्शल की नाराज़गी कुछ दिन पहले भी सामने आई थी कि भारत के पास युद्ध लड़ने के लिए पर्याप्त लड़ाकू विमान नहीं हैं।
अब सवाल उठता है कि इस स्थिति के लिए असली दोषी कौन है? जवाब है GE, जो HAL को इंजन नहीं दे रही है जबकि बाकी तेजस जेट्स तैयार हैं बस उसमें इंजन फिट करना बाकी है। इसलिए इस संकट के लिए GE को जिम्मेदार माना जा रहा है। हम आपको बता दें कि कई विश्लेषकों के अनुसार, GE जो अमेरिका की एक प्रमुख रक्षा कंपनी है और जिसे US Deep State का हिस्सा माना जाता है, जानबूझकर इंजन डिलीवरी में देरी कर रही है ताकि भारत को मजबूर किया जा सके कि वह अमेरिका से पूरी तरह से बना-बनाया F-35 फाइटर जेट खरीदे।
हम आपको यह भी बता दें कि साल 2020 में भारतीय सेना ने अमेरिका से 6 अपाचे हेलिकॉप्टरों के लिए 600 मिलियन डॉलर का सौदा किया था। लेकिन इसकी डिलीवरी भी समय पर नहीं हुई। रक्षा विश्लेषकों का अनुमान है कि इस कवायद के जरिये संभवतः अमेरिका भारत को कोई संदेश देना चाहता है या असंतोष जताना चाहता है। हम आपको बता दें कि अमेरिका का इतिहास अन्य देशों के मामलों में हस्तक्षेप करने और शासन परिवर्तन कराने का रहा है। इसलिए GE इंजन और अपाचे हेलिकॉप्टर डिलीवरी में देरी को संदेह की निगाह से देखा जा रहा है। अमेरिका जानता है कि GE इंजन को देने में देरी करने से भारतीय वायुसेना की क्षमता प्रभावित होगी वहीं अपाचे की डिलीवरी में देरी से भारतीय सेना की आक्रमण और टोही क्षमताएँ मजबूत नहीं होंगी।
बहरहाल, देखा जाये तो अमेरिका भारत से अपनी गहरी मित्रता के दावे करता है लेकिन हकीकत यह है कि वह सिर्फ अपना हित देखता है। अमेरिकी सरकार और प्रशासन के अलावा वहां स्वतंत्र रूप से भी कई ऐसे शक्तिशाली लोग हैं जो भारत को अस्थिर करने के प्रयास करते रहते हैं। हालिया भारत-पाक सैन्य संघर्ष के दौरान अमेरिका का जो रुख रहा उसने इस बात की आवश्यकता पर और जोर दिया है कि रक्षा क्षेत्र में हमें पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल करनी ही होगी।