Gujarat Election 2022: गुजरात में क्यों अहम है पाटीदार समुदाय? बीजेपी संग कैसे रहे हैं रिश्ते

By टीम प्रभासाक्षी | Nov 12, 2022

गुजरात कांग्रेस कमेटी के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की और भाजपा की सदस्यता हासिल की। उन्होंने साथ ही कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि वे गुजराती की अस्मिता का अपमान कर रहे हैं और गुजरात में सेवा करने या सरकार बनाने के लायक नहीं है। लेकिन सवाल तो ये उठता है कि हार्दिक पटेल ने ठीक गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले ऐसा बयान क्यों दिया?

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जानिए पटेल समुदाय कौन है और चुनाव में ये क्यों हैं इतने महत्वपूर्ण?

पटेल को पाटीदार के रूप में जाना जाता है। ये पीढ़ियों से रहने वाला एक कृषि समुदाय है। जानकारी के लिए बता दें कि गुजराती पटेल दो प्रमुख उप-जातियों से आते हैं। पहला लुवा और दुसरा कदवा। इतिहासकारों के अनुसार, ये भगवान राम के बेटे लव और कुश के वंशज हैं। लुवा जहां मध्य गुजरात में बस गए वहीं कदवा पटेल उत्तरी गुजरात में बस गए। तभी से ये भाजपा के मुख्य वोट बैंक रहे हैं। पाटीदार समुदाय गुजरात की आबादी का लगभग 14-15 फीसदी है। यह गुजरात में ठाकुरों के बाद आने वाली सबसे बड़ी जाति है। आंकड़ों के अनुसार, गुजरात की 6 करोड़ आबादी में पाटीदार 1.5 करोड़ हैं। पाटीदार समुदाय लुवा, कदवा, अंजना और उपजाति माटिया पटेल के बीच विभाजित है। इसमें 80 प्रतिशत पाटीदार लुवा और कदवा पटेल हैं। बता दें कि लुवा पटेल वर्ग भाजपा का प्रबल मतदाता रहा है वहीं कदवा पटेल से हार्दिक पटेल आते है जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लगभग 41.4 प्रतिशत वोट दिलवाया था। गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में लगभग 70 सीटें ऐसी हैं जहां पटेल वोट बहुत मायने रखते हैं और काफी बढ़त दे सकते है। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहल भाजपा ने गुजरात राज्य कैबिनेट में फेरबदल भी किया जिसके मुताबिक, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल सहित पटेल समुदाय के 7 मंत्रियों को शामिल किया गया। पाटीदार 1980 के दशक से ही गुजरात में सबसे शक्तिशाली सामाजिक आर्थिक ताकत रहे हैं।

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भाजपा और पाटीदार समुदाय 

2007 के बाद से पटेल समुदाय ने गुजरात भाजपा के प्रति असंतोष जताया है। चुनावी सालों के दौरान पटेल समुदाय ने भाजपा के प्रति कम प्रभाव दिखाया। 2022 के अंत में राज्य में एक और विधानसभा चुनाव होने के साथ, कई चेहरों वाली पाटीदार राजनीति चुनावों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। नरेंद्र मोदी के गृह क्षेत्र में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 1989 से सत्ता से बाहर है और तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस, भाजपा को गुजरात से हटा नहीं पाई है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान तीन युवाओं की तिकड़ी के साथ भाजपा को चुनौती दी थी जो किसी हद तक मुमकिन हुई थी।


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