By अभिनय आकाश | May 31, 2024
एक जमाना ऐसा था जब पंजाब देश का सबसे अमीर और विकसित राज्य हुआ करता था। अगर ऐसा था तो क्यों पंजाब के नौजवानों ने हथियार उठाए? क्यों हिंदुस्तान से अलग पंजाब में एक देश की आवाज उठी। खालिस्तान की आवाज उठी और क्यों उग्रवाद में हजारों लोगों की मौत हुई। 1 जून को पंजाब में लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में मतदान होना है। लेकिन 1 जून का दिन दो महत्वपूर्ण घटनाओं की सालगिरह का दिन भी है। इन दोनों ही घटनाओं ने राज्य के हालिया इतिहास और राजनीति को प्रभावित किया है। दोनों घटनाओं का परोक्ष या अपरोक्ष रूप से राजनेताों के द्वारा अपने चुनावी अभियान में मतदाताओं को स्मरण कराने के लिए किया गया है। 1 जून को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से खालिस्तानी आतंकवादियों को बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना के ऑपरेशन ऑपरेशन ब्लू स्टार की शुरुआत की 40वीं वर्षगांठ होगी। सिखों के सबसे पवित्र मंदिर पर हमले से भारत के प्रधान मंत्री की हत्या और दिल्ली और अन्य स्थानों में समुदाय के सदस्यों के खिलाफ अभूतपूर्व संगठित हिंसा सहित खूनी घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हो गई। इस घटना के वर्षों बाद, 1 जून को सिखों के जीवित गुरु माने जाने वाले गुरु ग्रंथ साहिब (सरूप) की एक प्रति फरीदकोट के एक गुरुद्वारे से चोरी हो गई, जिससे कई घटनाएं हुईं, जिनका पंजाब पर गहरा प्रभाव असर पड़ा।
1 जून, 1984: ऑपेशन ब्लू स्टार
कैबिनेट मंत्री प्रणब मुखर्जी सहित विभिन्न हलकों की आपत्तियों के बावजूद, इंदिरा गांधी ने मई, 1984 के मध्य में स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई को अधिकृत किया। 29 मई तक, पैरा कमांडो द्वारा समर्थित, मेरठ में 9वीं इन्फैंट्री डिवीजन के सैनिक अमृतसर पहुंच गए थे। उनका मिशन आतंकवादी विचारक जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके अनुयायियों को बाहर निकालना था जिन्होंने मंदिर में आधार स्थापित किया था। 1 जून को मंदिर के पास निजी इमारतों पर कब्जा कर चुके आतंकवादियों और सीआरपीएफ कर्मियों के बीच गोलीबारी में 11 नागरिकों की मौत हो गई। इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मंदिर में सेना भेजने का फैसला किया। कोड वर्ड रखा गया ऑपरेशन ब्लू स्टार। एक तरफ बातचीत का न्यौता दिया गया दूसरी तरफ पंजाब की सारी फोन लाइन काट दी गई। मेजर जनरल कुलदीप सिंह बरार की अगुवाई में सेना स्वर्ण मंदिर की ओर बढ़ी। तीन जून को पाकिस्तान से लगती सीमा को सील कर दिया गया। 5 जून को सेना की कार्रवाई होती रही। 6 जून को तय किया गया अकाल तख्त में छुपे आतंकियों को निकालने के लिए टैंक लगाने होंगे। उसके बाद फौज के ‘विजेता टैंकों’ ने मंदिर की बाहरी दीवार तोड़कर ताबड़तोड़ बमबारी की जिससे आतंकियों को काफी नुकसान हुआ। इस अंतिम हमले में शुबेग सिंह, अमरीक सिंह और भिंडरावाले मारे गए। ऑपरेशन ब्लू स्टार 10 जून तक चला और इसने जीवन, संपत्ति और भावनाओं पर भारी असर डाला। ऑपरेशन में सिखों की अस्थायी सीट अकाल तख्त को नष्ट कर दिया गया। 83 सैनिक मारे गए और 248 घायल हुए और मरने वाले आंतकियों की संख्या 492 रही। हालांकि आज भी इस बात को लेकर बहस है कि मरने वालों की संख्या काफी ज्यादा थी जो सेना या आतंकियों की कार्रवाई में मारे गए। अकाल तख्त को भी भारी नुकसान हुआ। हालांकि बाद में सरकार ने अकाल तख्त को बनवाने की पेशकश भी की। लेकिन सिख समुदाय ने सरकार के इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर खुद ही अकाल तख्त को दोबारा बनवाया। बहरहाल, 6 जून की देर रात भिंडरावाले की लाश सेना को मिली और सात जून को ऑपरेशन ब्लू स्टार खत्म हो गया।
बरगाड़ी बेअदबी कांड
फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला स्थित एक गुरुद्वारे से गुरु ग्रंथ साहिब का एक सरूप गायब होने के बाद पूरे पंजाब में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। गुरुद्वारे के पीछे एक बड़े जलाशय को खाली करने सहित व्यापक खोज की गई, लेकिन सरूप नहीं मिला। दरअसल, एक जून 2015 को बरगाड़ी से सटे गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला के गुरुद्वारा साहिब से पावन ग्रंथ का स्वरूप चोरी हो गया। इसके बाद 24-25 सितंबर 2015 की रात को गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला में ही गुरुद्वारा साहिब के बाहर अश्लील शब्दावली वाला पोस्टर लगाकर पुलिस प्रशासन व सिख संगत को चुनौती दी गई। पावन ग्रंथ की चोरी व पोस्टर लगाने के मामलों का कोई सुराग ढूंढ़ने में पुलिस को सफलता हाथ नहीं लगी। वहीं पोस्ट लगाए जाने के कुछ ही दिनों बाद बरगाड़ी में पावन ग्रंथ की बेअदबी कर दी गई। इसी मामले में सिख संगठनों और संगत ने कोटकपूरा और बरगाड़ी से सटे गांव बहबल कलां में भी धरना दिया था। इसी धरने के दौरान 14 अक्टूबर 2015 को पुलिस की गोलीबारी में गांव नियामी वाला के किशन भगवान सिंह और गांव सरांवा के गुरजीत सिंह मारे गए थे। वहीं बहिबल कलां से पहले कोटकपूरा के मुख्य चौक में भी चल रहे रोष धरने को पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए उठवाया और पुलिस के लाठीचार्ज से करीब 100 लोग घायल हुए। इन घटनाओं की पहले चरण की जांच का काम पंजाब पुलिस ने संभाला और बहिबल कलां गोलीकांड की घटना सामने आने पर उस वक्त के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने केस की जांच के लिए पंजाब पुलिस के डायरेक्टर ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन इकबालप्रीत सिंह सहोता की अध्यक्षता में एसआईटी बनाने और पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच के लिए जस्टिस जोरा सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन करवाया। जांच के दौरान बरगाड़ी कांड में डेरा प्रेमियों के शामिल होने की बात सामने आई। जिसके बाद पुलिस ने कोटकपूरा के अलग इलकों में छापेमारी भी की और वहां डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के शिष्यों को अपने साथ भी ले गई थी। उस वक्त गिरफ्तार किए गए डेरा अनुयायियों ने पुलिस के सामने खुलासा किया था कि उन्होंने पावन ग्रंथ के अंग खंडित कर कोटकपूरा के ड्रेन में फेंके थे। बरगाड़ी कांड में सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा से हथियार मुहैया कराए गए थे। लेकिन पंजाब पुलिस की तरह ही एसआई को भी इस केस में नाकामी ही हासिल हुई। नवंबर 2015 में सीबीआई के हवाले कर दिया। इन घटनाओं की जांच सीबीआई के पास थी इसलिए एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट सीबीआई को दे दी । डेरा अनुयायियों से जेल में पूछताछ हुई लेकिन सीबीआई की तरफ से कोई चार्जशीट दाखिल नहीं की गई जिसके चलते मोहाली की सीबीआई कोर्ट से सितबंर 2018 को इन्हें जमानत मिल गई। सीबीआई को भी इस केस में कोई खास सफलता हासिल नहीं हुई।