Cervical Cancer: महिलाओं में क्यों होता है सर्वाइकल कैंसर का अधिक जोखिम, इन लक्षणों को न करें अनदेखा

By अनन्या मिश्रा | Mar 19, 2024

महिलाओं को होने वाले कैंसर में सर्वाइकल कैंसर का जोखिम भी शामिल किया जाता है। महिलाओं के प्रजनन अंग को यह कैंसर प्रभावित कर सकता है। वहीं सर्वाइकल कैंसर के मामलों में हर साल तेजी से बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। महिलाओं को पीरियड्स, मासिक धर्म और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के किसी भी संकेत को अनदेखा करने की गलती नहीं करनी चाहिए।

 

वहीं समय के साथ ही कैंसर के लक्षण अधिक गंभीर हो सकते हैं। अन्य कैंसरों की तरह सर्वाइकल कैंसर भी महिलाओं के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। आज हम आपको सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारकों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारक

महिलाओं की गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं सर्वाइकल कैंसर में अनियंत्रित हो रूप से बढ़ने लगती है। डॉक्टर के मुताबिक जिस भी अंग में कोशिकाओं के जीन में बदलाव होता है, उसी अंग के नाम से कैंसर पहचाना जाता है। हांलाकि इस दौरान महिलाओं को कई तरह के लक्षण महसूस हो सकते हैं। आपको बता दें कि वजाइना के निचले भाग से सर्वाइकल कैंसर शुरु होता है और यह ऊपरी वजाइना तक फैल सकता है। गर्भाशय के सबसे नीचे हिस्से का घातक ट्यूमर होता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि सर्वाइकल कैंसर से जोखिम कारक क्या हो सकता है।


कमजोर इम्यूनिटी

कुछ महिलाओं की इम्यूनिटी कमजोर होती है। उनको कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। वहीं जो महिलाएं इम्यूनोसप्रेसिव थेरेपी कराती हैं। उनको भी सर्वाइकल कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। कमजोर इम्यूनिटी वाली महिलाओं को डाइट में पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही रोजाना व्यायाम भी करना चाहिए। रोजाना व्यायाम करने से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर का खतरा अधिक होता है।


एचपीवी संक्रमण

एचपीवी इंफेक्शन सर्वाइकल कैंसर का एक मुख्य जोखिम कारक हो सकता है। वहीं, एचपीवी के कुछ प्रकार विशेष रूप जैसे एचपीवी 16 और एचपीवी 18 सर्वाइकल कैंसर से जुड़े होते हैं। एचपीवी एक यौन संचारित संक्रमण है। इससे बचने के लिए सुरक्षित यौन संबंध और एचपीवी वैक्सीन लेनी चाहिए। 


धूम्रपान 

जो महिलाएं नियमित रूप से सिगरेट का सेवन करती हैं, उनको सर्वाइकल कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है। क्योंकि सिगरेट के तंबाकू और धुएं के कैमिकल के गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाएं 

डैमेज होने का खतरा अधिक हो सकता है। साथ ही एचपीवी इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं जो महिलाएं सिगरेट का सेवन नहीं करती हैं, उनको सर्वाइकल कैंसर का जोखिम कम रहता है।


नियमित रूप से चेकअप न कराना

सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए महिलाओं को नियमित रूप से पैप टेस्ट या एचपीवी टेस्ट कराना चाहिए। इससे प्रजनन अंगों से जुड़े कैंसर का खतरा कम होता है। वहीं नियमित जांच के चलते कैंसर की समय रहते पहचान भी की जा सकती है। जिससे इसके इलाज में आसानी होती है।


एचपीवी वैक्सीन

आपको बता दें कि एचपीवी वैक्सीन न लगावाने वाली महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर का जोखिम सबसे ज्यादा होता है। महिलाओं को गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं व इंफेक्शन से बचने के लिए एचपीवी वैक्सीन लगानी चाहिए। इस समस्या से बचने के लिए महिलाएं स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श कर सकती हैं।


महिलाओं को प्रजनन अंग से जुड़े रोगों से अपना बचाव करने के लिए जागरुक होने की जरूरत होती है। सर्वाइकल कैंसर और अन्य कैंसर के जोखिम से बचने के लिए लाइफस्टाइल और डाइट में जरूरी बदलाव करना चाहिए। वहीं पीरियड से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या का सामना करने पर फौरन डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।

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