भाजपा का सहयोगी दल माना, अखिलेश-मायावती को होगी मुश्किल

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 21, 2018

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अपने तेवर नरम कर लेने से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने राहत की सांस ली है। प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के लिए केवल दो दिन बचे हैं। भाजपा के पास हालांकि इतने वोट हैं कि वह आराम से अपने आठ प्रत्याशियों को राज्यसभा में भेज सकती है लेकिन पार्टी के नौवें प्रत्याशी की जीत के लिये अपने सहयोगी दल सुभासपा के चार वोट बहुत महत्वपूर्ण हैं।

403 सदस्यों वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 324 सीटें हैं। अभी हाल ही में नूरपुर सीट से भाजपा विधायक की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी। समाजवादी पार्टी के 47 विधायक, बसपा के 19 विधायक, कांग्रेस के सात और रालोद का एक विधायक है। राज्यसभा में एक प्रत्याशी को जीतने के लिये 37 प्रथम वरीयता के वोटों की जरूरत होती है। अगर गणित के हिसाब से देखें तो 10 में से आठ सीटें भाजपा आसानी से जीत सकती है। आठ प्रत्याशियों को राज्यसभा में भेजने के बाद 28 अतिरिक्त वोट भाजपा के पास हैं जिसमें सुभासपा के चार वोट भी शामिल हैं।

 

उल्लेखनीय है कि सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने आगाह किया था कि अगर भाजपा सुभासपा की समस्याओं को नहीं सुलझाएगी तो वह आगामी राज्यसभा चुनाव का बहिष्कार करेगी। सुभासपा के पास चार विधायक हैं। राजभर ने मंगलवार शाम नई दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर अपनी समस्याएं बताईं और राज्यसभा चुनाव में भाजपा का साथ देने की घोषणा कर दी।

 

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