क्या सचमुच RSS के नजदीक जाएंगे मुस्लिम? आखिर क्या है मोहन भागवत के मस्जिद जाने के मायने

By अंकित सिंह | Sep 26, 2022

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा ने हमने इस सप्ताह मोहन भागवत के मस्जिद दौरे और पीएफआई के ठिकानों पर हो रही कार्रवाई पर बातचीत की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे। सबसे पहले हमने बात की कि आखिर मोहन भागवत के मस्जिद और मदरसा दौरे को लेकर कितनी चर्चा क्यों है? इसके जवाब में नीरज दुबे ने कहा कि इसकी चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि हम संघ को समाचारों के नजरिए से ही जानते हैं। उन्होंने कहा कि संघ इस तरह के कार्य काफी पहले से करता रहा है। उन्होंने कहा कि साल 2002 में तत्कालीन संघ प्रमुख के एस सुदर्शन जी ने इसकी शुरुआत की थी। मुस्लिमों के भीतर जो भ्रांतियां हैं, उसको दूर करने के लिए राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की स्थापना की गई थी। इसके बाद से लगातार इंद्रेश कुमार इससे बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। 


नीरज दुबे ने आगे कहा कि इस मंच के साथ बड़ी संख्या में मुस्लिम जुड़े हुए हैं। इसके अलावा संघ की ओर से मुसलमानों में भ्रांतियों को दूर करने के लिए भी कई काम किए जाते रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो राष्ट्रीय मुस्लिम मंच से जुड़े लोग हैं, उनकी बातों को सुनने के बाद आपको लगेगा कि यह बातें टीवी पर क्यों नहीं दिखाई जाती। उन्होंने दावा किया कि संघ के प्रति मुस्लिम समाज में वह धारणा नहीं है, जो हमें टीवी पर दिखाई देती है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि कुछ नेताओं ने संघ को लेकर इतनी बार बोला है, इसी वजह से इसकी खूब चर्चा होने लगी है। नीरज दुबे ने कहा कि जिस तरह के प्रयास से मोहन भागवत जी ने किए हैं, यह प्रयास लगातार चलते रहते हैं। इस तरह की बैठकें भी लगातार होती रहती हैं। हालांकि, यह बात भी सच है कि मीडिया के कैमरे इस तरह की बैठकों तक नहीं पहुंच पाते। 

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राष्ट्रीय इमाम मंच के प्रमुख के इलियासी के बयान पर भी नीरज दुबे ने टिप्पणी की। दरअसल, इलियासी ने मोहन भागवत के लिए राष्ट्रपिता और राष्ट्र ऋषि जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। नीरज दुबे ने कहा कि इस तरह की बातें सुनकर मोहन भागवत जी को गर्व नहीं हुआ। उन्होंने टोका कि इस देश में केवल एक ही राष्ट्रपिता है। नीरज दुबे ने कहा कि यह बात मोहन भागवत हमेशा से कहते रहे हैं कि भले ही हम किसी भी धर्म के मानने वाले क्यों ना हो, पहले हम सब भारतीय हैं। हमारा डीएनए एक है। यह बात वैज्ञानिक तौर पर विकसित हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जब भी समाज में तनाव की स्थिति आती है, संघ सबसे पहले आगे आकर इसे कम करने की कोशिश करता है। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मामले के सामने आने के साथ ही हर मस्जिद में मंदिर होने के बाद हर ओर की जा रही थी। लेकिन मोहन भागवत ने साफ तौर पर कहा था कि हमें हर मस्जिद में मंदिर नहीं देखनी है। 


पीएफआई के खिलाफ हो रही कार्रवाई

हमने नीरज दुबे से पीएफआई के खिलाफ लगातार हो रही कार्रवाई को लेकर जो सवाल पूछा। नीरज दुबे ने कहा कि पीएफआई को लेकर एनआईए ने जो बयान दिया है उस पर गौर करें तो साफ तौर पर कहा गया है कि यह संस्थान लोगों के अंदर डर फैलाने का काम कर रहा है। नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि ऐसे संगठनों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और अब तक हमने देखा है कि कैसे देश भर में अलग-अलग ठिकानों पर एनआईए की कार्रवाई हुई है और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पीएफआई के खिलाफ पहले से ही कार्रवाई होनी चाहिए थी। जिस तरीके से इस संस्था ने देश के अलग-अलग हिस्सों में अपनी पकड़ को मजबूत कर लिया है। उससे कहीं ना कहीं आने वाले समय में इसका नुकसान भी देखने को मिल सकता था।


- अंकित सिंह

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