By अभिनय आकाश | Apr 03, 2021
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दो राज्यों असम औऱ केरल में जीत की आस के साथ जुटी है। जिसकी बानगी भी इस बात से दिखती है कि इन दोनों राज्यों में पार्टी की वापसी के लिए गांधी परिवार के दो अहम शख्स (राहुल-प्रियंका) जी-जान से लगे हैं। केरल में राज्यस्थान के सीएम अशोक गहलोत तो असम में छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को चुनाव प्रबंधक और रणनीतिकार की भूमिका में भेजा गया है। इसके साथ ही केरल और असम में राहुल गांधी और प्रियंका दोनों प्रचार में लगे हैं।
केरल के सहारे राहुल का अध्यक्ष पद पर होगा कमबैक?
राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद भी हैं और बीते दो-तीन महीनों में वहां का उन्होंने चार से ज्यादा दौरा किया। कभी वो कोल्लम जिले में समुद्र में गोता लगाते और मछली पकड़ने वाले नेट लिए नजर आते हैं तो कभी कॉलेज के छात्रों से संवाद करते दिखते हैं। कांग्रेस के समर्थक इसे राहुल गांधी का नया अवतार बताते हैं। 140 सदस्यीय केरल विधानसभा के चुनाव 6 अप्रैल को होने हैं। राहुल गांधी के लिए अपने लोकसभा क्षेत्र वायनाड के तहत आने वाले सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में जीत सुनिश्चित करना एक प्रतिष्ठा का विषय भी बन गया है। 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जादू केरल के लोगों के सिर इस कदर चढ़कर बोला कि सूबे ने कांग्रेस की अगुवाई वाली यूडीएफ को राज्य की 20 में 19 सीटें दे डाली। लेकिन ये तो बिल्कुल साफ है कि विधानसभा चुनाव में मुद्दे बिल्कुल अलग हैं। स्थानीय और प्रदेश नेताओं की अंदरूनी गुटबाजी और असंतोष के चलते कांग्रेस के हाथों से मौका फिसल भी सकता है और एलडीएफ की राह आसान हो सकती है। अगर राहुल गांधी केरल में अपने दम पर पार्टी को जीत दिला देते हैं तो उनके खिलाफ उठ रही आवाजों बंद हो सकती हैं। लेकिन अगर कांग्रेस के पक्ष में नतीजें नहीं आते हैं तो फिर राहुल के खिलाफ उठ रही आवाजें और तेज हो सकती है। जी-23 गुट के नेताओं के साथ ही और भी नेता मुखर हो सकते हैं। स्थिति कुछ अलग नजर आएगी।
असम में पार्टी को जीत दिला पाएंगी प्रियंका?
एक तरफ जहां राहुल गांधी केरल में पूरे जोर-शोर से लगे हैं वहीं उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी असम में कांग्रेस की फिर से वापसी की कवायद में लगी है। प्रियंका गांधी ने मार्च के महीने में अपनी असम यात्रा के दौरान चाय बगानों के कर्मचारियों से मुलाकात की थी और पार्टी के उम्मीदवारों के साथ कई सार्वजनिक बैठकों को भी संबोधित किया था। असम के अपने दौरे के दौरान प्रियंका ने असम की आदिवासी किशोरियों के साथ परंपरागत झूमर डांस करती नजर आईं थी। असम में अगर कांग्रेस पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती है या कामयाबी हासिल करने में सफल हो जाती है तो प्रियंका गांधी को कांग्रेस में सिर्फ यूपी तक ही केंद्रित रखने की बजाए सेंटर पॉलिटिक्स में लाने की चर्चा तेज हो जाएगी। वैसे प्रियंका को यूपी में कई मौकों पर प्रखर रूप लीड करते देखा है चाहे वो सोनभद्र में नरसंहार का मामला हो या हाथरस कांड के दौरान पीड़ित परिवार से मिलने की जिद। राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष रहते हुए कांग्रेस पार्टी अधिकतर राज्यों में प्रदर्शन करने में असफल रही है। अगर कांग्रेस केरल में हार जाती है और असम में जीत जाती है तो नेतृत्व को लेकर प्रियंका बनाम राहुल को लेकर डिबेट चर्चा में आ जाएगी। प्रियंका पार्टी अध्यक्ष के रूप में एक अच्छी च्वाइस हो सकती हैं!