मधुमक्खियों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति हमें जागरूक करता है ‘विश्व मधुमक्खी दिवस'

By अमृता गोस्वामी | May 20, 2021

मधुमक्खियां हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण हैं, इनके बनाए अत्यंत पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर शहद का उपयोग तो लगभग हर घर में होता है। हमारे भोजन में उपयोग आने वाले अनाज, फल, सब्जियों को उगाने में भी मधुमक्खियों की भूमिका अहम है, इन्हें उगाने में परागण अति आवश्यक प्रक्रिया है जिसमें मधुमक्खियां सहायक होती हैं।। मधुमक्खियां पेड़ पौधों के पराग कणों को एक पौधों से दूसरे पौधों तक पहुंचाने में मदद करती हैं जिसकी मदद से पौधों में निषेचन की प्रक्रिया से अनाज, फल और सब्जियों की उत्पत्ति होती है। 

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महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन ने कहा था कि यदि मधुमक्खियां पृथ्वी से गायब हो जाएं तो 4 साल में मानव जाति का अस्तित्व इस दुनिया से खत्म हो जाएगा।


यह चिन्ता का विषय है कि मानवीय गतिविधियों पेड़-पौधों पर कीटनाशकों का छिड़काव, बढ़ता प्रदूषण, औद्योगिकरण इत्यादि के दुष्प्रभावों के कारण दुनिया भर में मधुमक्खियों की संख्या में भारी कमी आ रही है और यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में जीवन को लेकर हमें बड़े खतरों का सामना करना पड़ सकता है। 


विशेषज्ञों के अनुसार हमारा जीवन परागणकों पर निर्भर हैं इसलिए उसकी ओर अधिक ध्यान देना और जैव विविधता के नुकसान को रोकना आवश्यक है, मधुमक्खियां जैव विविधता के संरक्षण, प्रकृति में पारिस्थितिक संतुलन और प्रदूषण को कम करने में बेहद उपयोगी भूमिका निभाती हैं।


पर्यावरण प्रणाली में मधुमक्खियों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का प्रस्ताव स्लोवेनिया के बीकीपर्स एसोसिएशन के नेतृत्व में 20 मई 2017 को संयुक्त राष्ट्र के सम्मुख को रखा गया था। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने दिसंबर 2017 में इस दिवस को मनाने के लिए मंजूरी दे दी, तब से ही दुनिया भर में 20 मई को हर साल मधुमक्खी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। पहला विश्व मधुमक्खी दिवस 20 मई 2018 को मनाया गया था। इस खास दिन 20 मई को आधुनिक मधुमक्खी पालन की तकनीक का जनक कहे जाने वाले एंटोन जान्सा के जन्म दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एंटोन जान्सा का जन्म 20 मई 1734 में स्लोवेनिया में हुआ था। 


विश्व मधुमक्खी दिवस का उद्देश्य पारिस्थितिक तंत्र के लिए मधुमक्खियों के महत्व को समझाना और उनके संरक्षण के प्रति लोगों में जागरूकता लाना है। इस दिवस पर लोगों को फसलों पर परागण के महत्व, बागबानी, मधुमक्खी पालन और इससे जुड़े उत्पादों शहद, रायल जैली, बी-पोलेन, प्रपोलिस और बी-वैक्स आदि के बारे में विस्तार से जानकारी देना है। दुनिया भर की लगभग 90 प्रतिशत जंगली फूल पौधों की प्रजातियां, 75 प्रतिशत से अधिक खाद्य फसलें और 35 प्रतिशत वैश्विक कृषि भूमि परागण पर निर्भर करती हैं।

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‘विश्व मधुमक्खी दिवस’ न सिर्फ मधुमक्खियों के संरक्षण के लिए ही बल्कि परागण करने वाले अन्य कीटों जैसे चिड़ियों चमगादड़ और तितलियों के भी महत्व का है। गौरतलब है कि हर वर्ष संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) विश्व मधुमक्खी दिवस के सैलिब्रेशन की एक थीम निर्धारित करता है। पिछले वर्ष 20 मई 2020 में इस दिवस की थीम ‘मधुमक्खियों को बचाओ’ (Save the Bees) रखी गई थी, वहीं इस वर्ष कोविड-19 महामारी को देखते हुए 20 मई 2021 को विश्व मधुमक्खी दिवस को ‘बी एंगेज्डः बिल्ड बैक बेटर फॉर बी’ (Bee engaged: Build Back Better for Bees) थीम के साथ वर्चुअल रूप में मनाया जाएगा। 


- अमृता गोस्वामी

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