उपचुनावों को लेकर CM योगी की रणनीति, विकास-रोजगार से सियासी खेल बदलने की तैयारी

By अजय कुमार | Aug 30, 2024

उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में जीत दर्ज करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद को पूरी तरह सक्रिय कर लिया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को प्रदेश में बड़े झटके का सामना करना पड़ा था, जिससे अब ये उपचुनाव पार्टी के लिए बेहद अहम हो गए हैं। मुख्यमंत्री योगी ने 15 अगस्त के बाद से लगातार अलग-अलग जिलों का दौरा करके बीजेपी के लिए जीत की रणनीति तैयार करना शुरू कर दिया है। उन्होंने रोजगार मेलों के माध्यम से युवाओं को साधने और विकास परियोजनाओं के जरिए जनता की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया है, ताकि बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाया जा सके।


उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में मीरापुर, गाजियाबाद, अलीगढ़ की खैर, करहल, कुंदरकी, फूलपुर, मिल्कीपुर, कटेहरी, मझवां और सीसामऊ जैसी सीटें शामिल हैं। इनमें से नौ सीटें 2024 के लोकसभा चुनाव में विधायकों के सांसद बनने के कारण खाली हुईं, जबकि सीसामऊ सीट समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी के सजा होने के कारण खाली हुई है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इनमें से तीन सीटें जीती थीं, जबकि पांच सीटें समाजवादी पार्टी के पास थीं। शेष दो सीटों पर राष्ट्रीय लोकदल और निषाद पार्टी के विधायक काबिज थे।

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बीजेपी के लिए ये उपचुनाव सिर्फ अपनी तीन सीटों को बचाने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सपा के दबदबे वाली सीटों पर विजय हासिल करके 2024 के लोकसभा चुनाव में हुए नुकसान की भरपाई करने का अवसर भी हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को छह सीटों पर सपा से कम वोट मिले थे, जिससे पार्टी की चिंता बढ़ गई थी। यही कारण है कि बीजेपी ने इन उपचुनावों को 2027 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल माना है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस चुनावी अभियान को प्राथमिकता दी है। उन्होंने खुद मैदान में उतरकर सियासी माहौल बनाने का मिशन शुरू कर दिया है।


मुख्यमंत्री योगी ने 15 अगस्त के बाद से प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा शुरू किया। अंबेडकर नगर से इस अभियान की शुरुआत हुई और इसके बाद अयोध्या, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद, मैनपुरी, अलीगढ़ और कानपुर जैसे महत्वपूर्ण जिलों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने रोजगार मेलों का आयोजन कर युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित किए और विकास परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया। हर जिले में पांच हजार से लेकर 17 हजार युवाओं को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए, जिससे बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की गई है।


योगी आदित्यनाथ उपचुनाव वाले उन जिलों का दौरा कर रहे हैं, जहां रोजगार मेलों का आयोजन किया जा रहा है। इन मेलों में युवाओं को मौके पर ही नियुक्ति पत्र दिए जा रहे हैं। इसके अलावा, योगी विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी कर रहे हैं। उन्होंने लाभार्थीपरक योजनाओं के प्रमाण पत्र और छात्रों को टैबलेट्स वितरित किए हैं। इससे स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री योगी ने उपचुनाव वाली सीटों पर बीजेपी के लिए मजबूत आधार तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।


बीजेपी की रणनीति में विकास, रोजगार और संवाद को मुख्य हथियार बनाया गया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को युवाओं की बेरोजगारी को लेकर मिली नाराजगी का सामना करना पड़ा था, जो पार्टी की हार का एक प्रमुख कारण बना। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रोजगार मेलों का आयोजन कर युवाओं को साधने की कोशिश की है। इन मेलों के माध्यम से युवाओं को नौकरी के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं, जिससे उनकी नाराजगी को कम किया जा सके।


मुख्यमंत्री योगी ने अपनी जनसभाओं में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पर तीखे हमले किए हैं। उन्होंने हिंदुत्व के एजेंडे को भी बढ़ावा देने का प्रयास किया है, ताकि बिखरे हुए हिंदू वोटों को एकजुट किया जा सके। योगी आदित्यनाथ ने हर जिले में उपचुनाव वाली सीटों के नेताओं के साथ बैठकें कीं और पार्टी की रणनीति पर चर्चा की। उन्होंने न केवल राजनीतिक मोर्चे पर बल्कि शासन स्तर पर भी तैयारी की है, जिससे बीजेपी की जीत सुनिश्चित हो सके।


योगी आदित्यनाथ ने इन 10 सीटों पर जीत की जिम्मेदारी खुद संभाल ली है। उन्होंने दोनों डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष को भी इस चुनावी अभियान में शामिल किया है, जिनके जिम्मे दो-दो विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी है। साथ ही, मुख्यमंत्री ने अपनी कैबिनेट के मंत्रियों को भी मैदान में उतार दिया है, जो अपने-अपने क्षेत्रों में बीजेपी के लिए जीत सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।


इन उपचुनावों में बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती सपा की मजबूत सीटें हैं। करहल, कुंदरकी, कटेहरी, मिल्कीपुर और सीसामऊ जैसी सीटें बीजेपी के लिए कठिन मानी जा रही हैं। इसके अलावा, मझवां, मीरापुर और फूलपुर जैसी सीटें भी पार्टी के लिए आसान नहीं हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम पूरी तरह से इन सीटों पर फोकस कर रही है।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस चुनावी अभियान को गंभीरता से लेते हुए पूरी ताकत झोंक दी है। रोजगार, विकास और संवाद के माध्यम से बीजेपी की रणनीति को मजबूत किया जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री योगी की यह मेहनत बीजेपी को उपचुनावों में कितनी सफलता दिला पाती है और पार्टी इस जंग को कैसे फतह करती है।

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