By रेनू तिवारी | Aug 31, 2025
जहां एक तरफ चीन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के बंदरगाह शहर तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की और दोनों देशों के मतभेदों को खत्म करने की ओर कदम उठा रहे हैं वहीं, दूसरी और भारत पक्ष भी दुनिया को दिखा रहा हैं कि वह अपनी भूमि के साथ एक इंच का भी समझौता नहीं करेगा। चीन हमेशा से ही अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर अपनी दावेदारी ठोकता आया है। वहीं पर भारत युद्ध कौशल 3.0 का अभ्यास कर रहा है।
भारतीय सेना ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों और कठिन जलवायु परिस्थितियों में युद्ध की तैयारी के आकलन के लिए अरुणाचल प्रदेश के कामेंग क्षेत्र में अभ्यास किया। एक रक्षा प्रवक्ता ने रविवार को यह जानकारी दी। लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने कहा कि शनिवार को संपन्न हुए इस अभ्यास ने मानवरहित प्रणालियों और सटीक हथियारों जैसी उभरती तकनीकों और बहु-डोमेन (जमीन, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबर जैसे कई क्षेत्रों) में संचालन की अवधारणाओं को अपनाने के लिए सेना की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
उन्होंने कहा कि ‘युद्ध कौशल 3.0’ अभ्यास ने उन्नत तकनीक, संचालन नवाचार और सैनिकों की पेशेवर उत्कृष्टता का उल्लेखनीय तालमेल प्रदर्शित किया। उन्होंने कहा कि इस अभ्यास ने ड्रोन निगरानी, वास्तविक समय में लक्ष्य प्राप्ति, सटीक हमले, हवाई-तटीय प्रभुत्व और समन्वित युद्धक्षेत्र युद्धाभ्यास के प्रदर्शनों के साथ बहु-डोमेन वातावरण में काम करने की सेना की क्षमता को रेखांकित किया।
लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने कहा कि अभ्यास का एक प्रमुख आकर्षण नवगठित एएसएचएनआई प्लाटूनों का शामिल किया जाना था, जिसने प्रदर्शित किया कि कैसे अगली पीढ़ी की तकनीक, युद्ध-प्रशिक्षित रणनीतियों के साथ सहज रूप से मिलकर, भविष्य के संघर्षों में निर्णायक बढ़त प्रदान कर सकती है। उन्होंने कहा कि इस सहयोग ने प्रदर्शित किया कि कैसे स्वदेशी रक्षा नवाचार तेजी से युद्धक्षेत्र के लाभ में परिवर्तित हो रहा है, राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत कर रहा है और आत्मनिर्भरता को बढ़ा रहा है।