असम में बाल विवाह पर जीरो टॉलरेंस नीति, पुलिस ने बाल विवाह के विरोध में दर्ज की 4074 FIR, 2 हजार से अधिक लोग हुए गिरफ्तार

By रितिका कमठान | Feb 05, 2023

असम में बाल विवाह के खिलाफ राज्य की कार्रवाई लगातार जारी है। इस मामले में पुलिस ने अब तक 4074 मामले दर्ज कर लिए है। बाल विवाह निषेध अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ वर्तमान में राज्यव्यापी गिरफ्तारी चल रही है। 

 

असम पुलिस ने बाल विवाह के मामले में राज्य भर में कार्रवाई की है। इस मामले में पुलिस ने विश्वनाथ में 139, बारपेटा में 130, धुबरी में 126, बक्सा में 123, बोंगईगांव में 117, नगांव में 101, कोकराझार में 94, कामरूप में 85, गोलपारा और उदलगुरी जिले में 84-84 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। असम पुलिस ने अब तक राज्य भर में बाल विवाह से जुड़े मामलों में 2278 लोगों को गिरफ्तार किया है। असम पुलिस ने इस मामले में 4074 मामले दर्ज किए हैं। 

 

सरकार पर लग रहे आरोप

आल इंडिया यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने शनिवार को आरोप लगाया कि असम सरकार आवश्यक नियम बनाए बिना ही बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए) के प्रावधानों के तहत बाल विवाह पर कार्रवाई कर रही है। कांग्रेस ने भी भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर उन एजेंसियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर सवाल उठाया, जिन पर बाल अधिकारों की रक्षा का जिम्मा है। पुलिस ने शुक्रवार से बाल विवाह पर कार्रवाई करते हुए ऐसे मामलों के खिलाफ दर्ज 4,074 प्राथमिकी के आधार पर अब तक 2,258 लोगों को गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि यह अभियान 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा। एआईयूडीएफ के महासचिव अमीनुल इस्लाम ने दावा किया कि पीसीएमए को लागू करने के नियम राज्य सरकार द्वारा नहीं बनाए गए हैं। उन्होंने प्रश्न किया, “2006 का पीसीएमए 2007 से प्रभाव में आया। चूंकि यह एक केंद्रीय अधिनियम है, इसलिए राज्यों को नियम बनाने होंगे। 2007 से 2014 तक, राज्य कांग्रेस शासन के अधीन था और उसके बाद से भाजपा के अधीन।

 

राज्य में जारी अभियान

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा है कि बाल विवाह के खिलाफ अभियान 2026 में होने वाले अगले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, असम में मातृ और शिशु मृत्यु दर अत्यधिक है और इसके लिए बाल विवाह मूल कारण है, क्योंकि राज्य में पंजीकृत विवाहों में से औसतन 31 प्रतिशत निषिद्ध आयु वर्ग में हुए हैं।

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