Muhammad Zia ul Haq Death Anniversary: जिया उल हक ने किया था भुट्टो का तख्तापलट, पाकिस्तान को भुगतनी पड़ रही विरासत

By अनन्या मिश्रा | Aug 17, 2025

आज ही के दिन यानी की 17 अगस्त को पाकिस्तान के तानाशाह और छठे राष्ट्रपति रहे जनरल जिया उल हक की प्लेन क्रैश में मौत हो गई थी। आज भी उनकी मौत पर रहस्य बना हुआ है। जनरल जिया उल हक ने करीब एक दशक तक पाकिस्तान में शासन किया है। उस प्लेन क्रैश में 30 लोग मौजूद थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के नेतृत्व वाली सरकार को जनरल जिया उल हक के नेतृत्व में उखाड़ फेंका गया और सैन्य शासन का दौर शुरू हुआ। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर जनरल जिया उल हक के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

भारत के पंजाब प्रांत के जालंधर में 12 अगस्त 1924 को मुहम्मद जिया-उल-हक का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पूरी की थी। वहीं साल 1947 में जब दोनों देशों का बंटवारा हुआ, तो जिया उल हक पाकिस्तान चले गए। उन्होंने भारत के खिलाफ दो जंग भी लड़ी थीं।

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डिवीजनल कमांडर से सेना प्रमुख

दरअसल, साल 1973 में प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो मुल्तान यात्रा पर गए थे। उस दौरान जिया उल हक सेना में डिवीजनल कमांडर थे। उन्होंने तत्कालीन पीएम के स्वागत में तमाम सैनिकों को सड़कों पर उतार दिया और पीएम भुट्टो की कार पर फूल फेंके गए। इस मेहमानवाजी से पीएम भुट्टो बेहद खुश हुए। वहीं जिया उल हक ने पीएम भुट्टो की खूब आवभगत की। वहीं साल 1976 में टिक्का खान के रिटायरमेंट के बाद से सेना प्रमुख की कुर्सी खाली थी।


ऐसे में जुल्फिकार भुट्टो ने ऐसे व्यक्ति को सेना प्रमुख बनाने की सोची, जो उनकी बात सुनें। इस पद के लिए भुट्टो को जिया उल हक एकदम फिट थे और इस तरह से उनको सेना प्रमुख बनाया गया। लेकिन 05 जुलाई 1977 को जनरल जिया उल हक ने प्रधानमंत्री जुल्फिकार भुट्टो का तख्ता पलट कर उन्हें जेल में डाल दिया। इसी दिन जिया उल हक ने मार्शल लॉ लागू कर दिया। वहीं 18 मार्च 1978 को जुल्फिकार भुट्टो को हत्या के मामले में दोषी पाया गया और फांसी की सजा सुनाई गई। जिसके बाद 04 अप्रैल 1979 को जुल्फिकार भुट्टो को फांसी पर चढ़ा दिया गया।


पाकिस्तान में शरिया लागू

पाकिस्तान में जुल्फिकार भुट्टो का तख्तापलट करने के बाद खुद राष्ट्रपति बने जिया उल हक ने देश का इस्लामीकरण करना शुरू कर दिया। उन्होंने पाकिस्तान में शरिया लागू कर दी। क्योंकि उनका मानना था कि पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर बना है, ऐसे में वह तभी तक जिंदा रहेगा, जब तक इस्लाम से जुड़ा रहेगा। साल 1978 से लेकर 1985 तक उन्होंने पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र में बदलने के लिए वह सब किया, जोकि किया जा सकता था।


मृत्यु

वहीं पाकिस्तान के बहावलपुर एयरबेस से 17 अगस्त 1988 को एक विमान उड़ा। इस विमान में जनरल जिया उल हक और उनके साथ पाकिस्तान के सीनियर अफसर भी मौजूद थे। इसके अलावा इस विमान में अमेरिकी राजदूत आर्नल्ड रफेल थे। लेकिन एयरबेस से 18 किमी दूर यह विमान क्रैश हो गया। इस विमान में मौजूद सभी लोगों की मौत हो गई।


बता दें कि पाकिस्तान के इतिहास में राष्ट्रपति या सैन्य तानाशाह के रूप में जिया उल हक का कार्यकाल सबसे लंबा रहा है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि अपने कार्यकाल में जनरल जिया उल-हक ने जो कुछ किया था, उसका नतीजा आज तक पाकिस्तान को भुगतना पड़ रहा है।

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