पूरा प्रशासन ठप हो गया... सिंघवी की दलील के बाद केंद्र के कानून से जुड़ी याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने पर SC तैयार
सीजेआई ने कहा कि फिलहाल नौ जजों की बेंच में मामला चल रहा है और वह इस दलील पर विचार करेंगे। वर्तमान में सीजेआई की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की पीठ एक जटिल कानूनी सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39 के तहत समुदाय के भौतिक संसाधन" माना जा सकता है, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का एक हिस्सा है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार से कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं को नियंत्रित करने में निर्वाचित व्यवस्था पर उपराज्यपाल की प्रधानता स्थापित करने वाले केंद्र सरकार के कानून को चुनौती देने वाली अपनी याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ से ए सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने आग्रह किया कि पूरा प्रशासन ठप हो गया है और मामले की सुनवाई की जरूरत है।
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सीजेआई ने कहा कि फिलहाल नौ जजों की बेंच में मामला चल रहा है और वह इस दलील पर विचार करेंगे। वर्तमान में सीजेआई की अध्यक्षता वाली नौ-न्यायाधीशों की पीठ एक जटिल कानूनी सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39 के तहत समुदाय के भौतिक संसाधन" माना जा सकता है, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का एक हिस्सा है। इससे पहले 9 फरवरी को दिल्ली सरकार ने पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने की याचिका का उल्लेख किया था।
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पिछले साल 27 सितंबर को शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि दिल्ली सरकार की याचिका में दोनों पक्षों की दलीलों का एक साझा संकलन दाखिल किया जाए। इससे पहले, सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने दिल्ली सरकार को सेवाओं को नियंत्रित करने में निर्वाचित व्यवस्था पर उपराज्यपाल की प्रधानता स्थापित करने वाले केंद्र सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में संशोधन करने की अनुमति दी थी।
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