World Thalassemia Day 2024: हर साल 08 मई को मनाया जाता है वर्ल्ड थैलेसीमिया डे, जानिए इतिहास और महत्व
हर साल 08 मई को वर्ल्ड थैलेसीमिया डे मनाया जाता है। यह दिन थैलेसीमिया बीमारी से जूझने वाले मरीजों को समर्पित है। बता दें कि यह एक गंभीर समस्या है, जिससे दुनियाभर में तमाम लोग पीड़ित है।
हर साल 08 मई को वर्ल्ड थैलेसीमिया डे मनाया जाता है। यह दिन थैलेसीमिया बीमारी से जूझने वाले मरीजों को समर्पित है। बता दें कि यह एक गंभीर समस्या है, जिससे दुनियाभर में तमाम लोग पीड़ित है। ऐसे में इस दिन का मुख्य उद्देश्य थैलेसीमिया के बारे में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इसके लक्षणों, निदानों और उपचारों के बारे में लोगों को जागरुक करना है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम जानेंगे कि किस दिन इसे मनाने की शुरूआत हुई और इसका क्या महत्व है।
इतिहास
साल 1994 में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन (टीआईएफ) द्वारा अंतरराष्ट्रीय थैलेसीमिया दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन ने 08 मई का दिन थैलेसीमिया के मरीजों के नाम समर्पित किया था। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के संघर्षों को इस दिन बताए जाने का प्रयास किया था। इस बीमारी से पीड़ित सभी रोगियों और उनके माता-पिता के सम्मान में थैलेसीमिया इंटरनेशनल फेडरेशन के अध्यक्ष और संस्थापक जॉर्ज एंगेल्सॉस ने इस दिन को मनाने की शुरूआत की।
थैलेसीमिया डे का महत्व
बता दें कि यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके बारे में लोग अधिक जागरुक नहीं हैं। जिस कारण कई बार मरीजों को सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता है और उनकी मृत्यु तक हो जाती है। इस दिन को मनाने का मकसद अधिक से अधिक लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरुक करना है। वहीं मरीजों के अलावा यह दिन डॉक्टर्स और सोशल वर्कर्स को भी सम्मानित करने का है।
थैलेसीमिया की बीमारी
थैलेसीमिया एक ब्लड डिसऑर्डर है, जो पीड़ित व्यक्ति में जेनेटिक होता है। यानी की यह बीमारी पेरेंट्स से बच्चों में ट्रांसफर होती है। थैलेसीमिया बीमारी में मरीज में खून की कमी होती है। जिसकी वजह से उनको बाहर से खून चढ़ाना पड़ता है। खून की कमी के कारण शरीर में पर्याप्त मात्रा में हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता। जिसकी वजह से वह एनीमिया का शिकार हो जाते हैं। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार ब्लड बैंक ले जाना होता है। मरीज को जीवित रहने के लिए हर दो से तीन सप्ताह बाद खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है।
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