रामपंथ में 25 मुसहर और 5 आदिवासी समाज के लोग हुए दीक्षित, ये भी बन सकेंगे मंदिरों में पुजारी

By अमित मुखर्जी | Jan 25, 2022

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का मामला हल होते ही देश भर में कई आयोजन हो रहे हैं। इसी कड़ी में लमही स्थित श्रीराम आश्रम में राम काज के विस्तार के लिये, राम मंदिरों की गांव–गांव में स्थापना के लिये, अंतिम व्यक्ति तक राम नाम पहुंचाने और राम मंदिरों में पुजारी बनाने के लिये रामपंथ ने दीक्षा संस्कार का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये मुसहर और आदिवासी समाज के लोग शामिल हुए। 

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आदिवासी और मुसहर समाज को आगे लाने का बीड़ा

रामपंथ के संस्थापक इन्द्रेश कुमार ने सभी मुसहर समाज के लोगों के गले में तुलसी की कंठी डाल, रामनामी यंत्र दिया और कान में राम नाम का गुरूमंत्र दिया। इन्द्रेश कुमार ने कहा कि अब भगवान श्रीराम के साथ धर्म की स्थापना करने वाले उनके साथियों के वंशजों को राम काज करने की जिम्मेदारी देकर सर्वोच्च सम्मान दिया गया। अब ये न अछूत हैं और न ही उपेक्षित।

रामपंथ के पंथाचार्य डा० राजीव ने कहा कि दुनियां में शांति स्थापना हेतु रामपंथ का विस्तार जरूरी है। रामपंथी सभी धर्मों के बीच समन्वय और सेतु का काम करेगा। सभी धर्मों के बीच समन्वय हेतु रामपंथ ने ‘रामसेतु योजना’ का प्रारम्भ किया है।रामपंथ ने तय किया कि देश भर में राम संस्कृति का विस्तार करने के लिए गांव–गांव में श्रीराम परिवार का मंदिर बनाया जायेगा। जहां भगवान श्रीराम–माता जानकी, भगवान भरत–माता माण्डवी, भगवान लक्ष्मण–माता उर्मिला, भगवान शत्रुघ्न–माता श्रुतकीर्ति एवं संकट मोचन हनुमान जी की मूर्ति स्थापित होगी। रामपंथ ने अपनी स्थापना के साथ ही सबको पूजा करने और पुजारी बनने का अधिकार दिया है। 

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काशी के पुरोहित पंडित श्रीराम तिवारी ने वैदिक मंत्रों के साथ सभी दीक्षा लेने वाले राम प्रेमियों से हवन कराया, तिलक लगाया और गंगा जल से आचमन कराने के बाद गुरूमंत्र लेने के लिये संकल्पित कराया। सभी रामपंथियों ने काशी विश्वनाथ मंदिर और अयोध्या में श्रीराम मंदिर का दर्शन करने का शपथ लिया। रामपंथ के पंथाचार्य डा० राजीव ने बताया रामपंथ कि स्थापना काशी में लमही आश्रम में 17 अक्टूबर 2020 को किया गया था। अब 40 लोग दीक्षित हुए हैं।

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