World Deaf Day 2022: जाने उनके बारे में जिन तक शोर नहीं, केवल स्नेह पहुँचता है

By Rounak Gautam | Sep 26, 2022

आवाजें हमारी इस रंगीन दुनिया को और भी ज़्यादा खूबसूरत बनाती है चाहे चिड़ियों के चहचहाने  की आवाज़ हो या बारिश की बूंदों के जमीन पर गिरने की आवाज़। क्या आपने कभी सोचा है कि अगर हमें कोई आवाज़ ना सुनाई दे तो क्या होगा? हम कैसे जान पाएंगे कि हमारे आसपास क्या हो रहा है? लेकिन हमारी दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग है जिन तक यह आवाज़ या शोर नहीं पहुँच पाता है वे लोग केवल इशारों या प्यार की भाषा ही समझते हैं। जिन्हें बधिर कहा जाता हैं। इस प्यार की भाषा से हर बधिर व्यक्ति को जोड़ने के लिए और उनकी समाज में सहज उपस्थिति बनाने के लिए हर साल 26 सितम्बर को 'विश्व बधिर दिवस' (World Deaf Day) मनाया जाता है। आइए जानते हैं बधिर दिवस से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें:-


'विश्व बधिर दिवस' की कैसे हुई शुरुआत ?

सितम्बर 1951 में रोम, इटली में विश्व बधिर संघ की स्थापना हुई थी। यह एक अंतर्राष्ट्रीय संघ है जिसने वर्ष 1958 से 'विश्व बधिर दिवस' की शुरुआत की थी। यह संघ संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा पहचाना जाता है और उसकी इकाईयों के साथ काम करके यू एन चार्टर के अनुरूप बधिर व्यक्तियों के मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।

 

क्यों मनाया जाता है ‘विश्व बधिर दिवस’?

प्रतिवर्ष 26 सितम्बर को मनाया जाने वाला बधिर दिवस अब वर्तमान में ‘विश्व मूक बधिर सप्ताह’ के रूप में अधिक जाना जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य बधिरों के सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक अधिकारों के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के साथ-साथ समाज और देश में उनकी उपयोगिता के बारे में भी लोगों को बताना है। इसके अलावा लोगों को बधिरों की क्षमता और उनकी उपलब्धि की तरफ ध्यान आकर्षित करना भी इस दिवस का उदेश्य हैं। साथ ही इसमें बधिरों के द्वारा किये गए कार्यों की सराहना की जाती है और उनके कार्यों को प्रदर्शित किया जाता है। इस दिन कई स्कूल, कॉलेज और अन्य संस्थाएं लोगों में बधिरपन हेतु जागरूकता बढ़ाने का कार्य करती है और साथ ही बधिरों की समस्याओं से संबंधित कई कार्यक्रमों का आयोजन भी करती है।

  

कैसे मनाये विश्व बधिर सप्ताह ?

1. सबसे पहले हमें इस बात को जानना होगा कि यह दिन बधिरों को सांत्वना देने का नहीं है बल्कि उनके जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने का है। 

2. लोगों को बताना कि बधिर होना कोई दिव्यांगता या कमी नहीं हैं बल्कि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बधिर लोग सामान्य लोगों की तुलना में अधिक बुद्धिमान होते हैं और वे बातों को जल्दी समझ पाते हैं बस फर्क इतना होता है कि उनका संचार का माध्यम अलग होता है।

3. बधिरों के ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए वर्कशॉप या कार्यक्रमों का आयोजन कर सकते है। जिसके अंतर्गत हम लोगों को बधिरों के द्वारा प्रयोग की जाने वाली भाषा के बारे में बता सके।

4. इसके साथ ही बधिरों को नयी तकनीक से अवगत करा सकते है जिससे कि उनका जीवन अधिक सुगम हो सके।

 

क्या कहते है आंकड़े ?

यदि हम आंकड़ों पर नज़र डाले तो विश्व बधिर संघ के आंकड़ों के अनुसार दुनिया की सात अरब की आबादी में बधिरों की संख्या 70 लाख के करीब हैं। सरकार ने बधिरों तक शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की है। इसके साथ ही बधिरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था की गयी है।

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