प्रयागराज में चल रहे कुंभ में तीसरा शाही स्नान बसंत पंचमी पर होगा

By ट्रैवल जुनून | Feb 04, 2019

ये आर्टिकल मूलतः Travel Junoon पर प्रकाशित किया गया है।

 

प्रयागराज में कुम्भ 2019 की शुरुआत हो गई है। मकर संक्रांति के दिन पहला शाही स्नान हुआ था जिसमें सबसे पहले अखाड़ों के साधु संतों ने स्नान किया था। कुम्भ की भव्यता के चलते इस मेले को दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक और धार्मिक मेला कहा जाता है। ऐसा कहते हैं कि सूर्य के धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में जाने को ही मकर संक्रांति कहा जाता है और मकर संक्रांति से ही सूर्य उत्तरायण होना शुरु होता है।

 

इस काल को काफी ज्यादा शुभ मानते हैं, इसलिए जब भी कुम्भ आयोजित होता है तो उसकी शुरूआत मकर संक्रांति से ही की जाती है। कुंभ का पहला शाही स्नान काफी अहम होता है इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से पापों से छुटकारा मिलता है साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

 

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इस बार कुम्भ प्रयागराज में आयोजित हुआ है। यहां पर त्रिवेणी के किनारे पर ये मेला लगा है। प्रयागराज में कुम्भ का सबसे ज्यादा महत्व माना जाता है। क्योंकि यहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों का संगम होता है लिहाजा कुम्भ के दौरान यहां डुबकी का महत्व और भी बढ़ जाता है।

 

शाही स्नान

इस बार कुम्भ में 6 शाही स्नान हैं। शाही स्नान की खास मान्यता होती है। शाही स्नान वो खास स्नान हैं जिसमें तय वक्त यानी की मुहूर्त में सबसे पहले अखाड़ों के साधु संत एक-एक करके स्नान करते हैं। और इनके बाद आम लोग स्नान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि कुम्भ में स्नान करने से इंसान के रोग-विकार, पाप आदि खत्म हो जाते हैं। इसके साथ ही ये भी माना जाता है कि शाही स्नान के दिन गंगा में डुबकी लगाने से अमृत मिलता है। इसी वजह से साधु-संत बड़ी और सोने-चांदी की पालकियों के साथ यहां शाही स्नान करने के लिए आते हैं।


ये हैं शाही स्नान की तारीखें-

 

मकर संकांति – 14-15 जनवरी 2019

पौष पूर्णिमा- 21 जनवरी 2019

मौनी अमावस्या- 4 फरवरी 2019

बसंत पंचमी- 10 फरवरी 2019

माघी पूर्णिमा- 19 फरवरी 2019

महाशिवरात्रि- 04 मार्च 2019

 

आपको आज हम अपने इस लेख में फरवरी में होने वाले शाही स्नान के बारे में बताएंगे। साथ ही इनका क्या महत्व है ये भी आपको बताएंगे।

 

मौनी अमावस्या

मौनी अमावस्या के दिन यानी की 4 फरवरी को दूसरा शाही स्नान है। इस दिन के लिए माना जाता है कि इस दिन ग्रहों की स्थिति पवित्र नदी में स्नान के लिए सबसे ज्यादा अनुकूल होती है। इसी दिन पहले तीर्थंकर ऋषभ देव ने अपनी लंबी तपस्या का मौन व्रत भी तोड़ा था और यहीं इसी संगम के पवित्र जल में स्नान किया था। इस दिन पर मेले वाली जगह पर सबसे ज्यादा भीड़ होती है।

 

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बसंत पंचमी

10 फरवरी 2019 के दिन तीसरा शाही स्नान बसंत पंचमी के मौके पर होना है। विद्या की देवी सरस्वती के अवतरण का यह दिने ऋतु परिवर्तन का संकेत भी माना जाता है। कल्पवासी बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं।

 

माघी पूर्णिमा

ये शाही स्नान 19 फरवरी 2019 के दिन होना है और ये दिन गुरु बृहस्पति की पूजा के लिए काफी माना जाता है। और इस विश्वास कि हिन्दू देवता गंधर्व स्वर्ग पधारे हैं, से भी जुड़ा है। इस दिन पवित्र घाटों पर तीर्थयात्रियों का हुजूम इस विश्वास के साथ आ जाता है कि वो सशरीर स्वर्ग की यात्रा कर सकेंगे।


महाशिवरात्रि

4 मार्च 2019 के दिन महाशिवरात्री का पर्व है। ये चौथा और आखिरी शाही स्नान है। कुंभ मेला इसी दिन खत्म हो रहा है। इस दिन गंगा स्नान करके शिव की आराधना करने वाले लोगों पर विशेष कृपा होगी। ये दिन कल्पवासियों का अन्तिम स्नान पर्व है और सीधे भगवान शंकर से जुड़ा हुआ है। इस दिन माता पार्वती से इस पर्व के सीधे जुड़ाव के नाते श्रद्धालु शिवरात्रि का व्रत रखते हैं और संगम स्नान से वंचित नहीं होना चाहते हैं।

 

ट्रैवल जुनून

 

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