By निधि अविनाश | Jan 21, 2022
यासमीना अली यह नाम अगर आप गूगल पर सर्च करेंगे तो आपको पता चल जाएगा की यह एकमात्र अफगानिस्तान की पॉर्न स्टार है जिसे तालिबानियों से कोई खौफ और डर नहीं है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यासमीना का मानना है कि, तालिबानियों को उनके काम के बारे में पूरी खबरो होगी कि वह क्या करती है और कहां रहती है। इसके साथ ही तालिबान के कट्टर लड़ाके यासमीना की फिल्में भी देखते होंगे। जानकारी के लिए बता दें कि, यासमीना बचपन में ही अफगानिस्तान से ब्रिटेन आ गई थी। तब से अभी तक यासमीना ब्रिटेन में ही रहती है। लेकिन यासमीना ने अपने मुल्क की क्रूरता को कभी नहीं भुलाया है। साल 1990 में जब तालिबान ने काबुल पर विजय हासिल की तो यासमीना ने अपनी आखों से अपने मुल्की की महिलाओं के साथ क्रूरता होते देखा है।
अफगानिस्तान की एकमात्र पोर्न स्टार
डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यासमीना अली अफगानिस्तान की एकमात्र पॉर्न स्टार है और उन्होंने एडल्ट इंडस्ट्री में कदम रखते ही अपना मजहब छोड़ दिया था और नास्तिक बन गई थी। तालिबान यासमीना को पॉर्न हब और ओनलीफैन्स जैसी वेबसाइटों से बहुत आसानी से नजर रख सकता है। आई हेट पोर्न' पॉडकास्ट पर बोलते हुए यासमीना ने बताया कि, तालिबान नहीं चाहता कि उसका देश एक पॉर्न के लिए जाना जाए। तालिबान के मुताबिक, महिलाओं के जिस्म पर केवल उनका अधिकार है और अगर यासमीना अपनी जिस्म दिखाती है वह सच्ची अफगानी नहीं है। पॉर्न स्टार का कहना है कि, उन्हें हर दिन ऐसे मैसेज मिलते है जिसमें उन्हें अंडरकवर कहा जाता है। यासमीना ने कहा कि, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता की तालिबान उनके बारे में क्या सोचता है। वह एक अफगान की लड़की है और वहीं उनकी पहचान है। पॉर्न स्टार ने कहा कि, शायद तालिबानी मेरे फिल्में भी देखते होंगे और यासमीना को यकीन है कि, सभी तालिबानी अच्छे से उन्हें पहचानते होंगे। आप बस गूगल पर अफगान पोर्न लिखे और मेरा नाम सामने आ जाएगा।
तालिबान के लिए बलात्कार शब्द कुछ नहीं
पोर्न स्टार यासमीना ने तालिबान क्रूरता के अनुभव के बारे में बताते हुए कहा कि तालिबान महिलाओं को एक वस्तु की तरह ही समझते है और उनके लिए औरतों की भावनाएं, इच्छाएं कोई मायने नहीं रखती है। अपनी मां की एक बात को याद करते हुए यासमीना ने कहा था कि, तालिबान के लिए बलात्कार शब्द कुछ भी नहीं है। वह जिसके साथ जब चाहे कुछ भी कर सकते हैं। अपने बचपन को लेकर यासमीना ने कहा कि, लोगों को धार्मिक न होने और औरतें अगर ठीक से पोशाक न पहने तो पीटा जाता था। महिलाओं के साथ पुरूष भी तालिबान के क्रूरता से नहीं बचे है। ब्रिटेनक्षित महसूस नहीं करते तो यहां पुलिस आपकी तुरंत मदद करने को आगे आती है लेकिन अफगानिस्तान में आप किससे अपनी सुरक्षा की मदद मांगेगे। 9 साल की उम्र में अफगानिस्तान छोड़ ब्रिटने में ही यासमीना ने अपनी पढ़ाई पूरी की है। वह बताती है कि आज भी अफगानिस्तान में महिलाओं की मासिक धर्म को अपवित्र और गंदा माना जाता है।