AICTE ने 11 क्षेत्रीय भाषाओं में बीटेक कार्यक्रमों को दी अनुमति, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट कर दी जानकारी

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jul 20, 2021

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने 11 क्षेत्रीय भाषाओं में बीटेक कार्यक्रमों को कराने की मंजूरी दे दी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को ट्विटर के माध्यम से इस बारे में जानकारी दी। इन भाषाओं  में हिंदी, मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, बंगाली, असमिया, पंजाबी और उड़िया शामिल हैं हैं। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ट्वीट किया, "एआईसीटीई ने 11 क्षेत्रीय भाषाओं में बीटेक कार्यक्रमों की अनुमति दी है। पीएम श्री @narendramodi मुख्यधारा की शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एनईपी विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले छात्रों को सशक्त बनाने के लिए इस महत्वपूर्ण पहलू पर जोर देता है।" उन्होंने यह भी कहा, "इंजीनियरिंग कॉलेजों में क्षेत्रीय भाषा में पाठ्यक्रम प्रदान करने के निर्णय का स्वागत करने के लिए माननीय उपराष्ट्रपति का आभार।"


प्राप्त जानकारी के मुताबिक, आठ राज्यों के चौदह इंजीनियरिंग कॉलेजों को स्नातक कार्यक्रमों में सामूहिक रूप से एक हजार से अधिक छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति दी है, जिन्हें नए शैक्षणिक वर्ष से क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाया जाएगा। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रावधानों के अनुरूप है।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश से चार, राजस्थान से दो और मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से एक-एक कॉलेज हिंदी में पढ़ाएंगे। वहीं, आंध्र प्रदेश में तेलुगु, महाराष्ट्र में मराठी, पश्चिम बंगाल में बंगाली और तमिलनाडु में तमिल में कार्यक्रम पेश किए जाएंगे।


भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी इस फैसले का स्वागत किया और अपनी खुशी व्यक्त की। वीपी सचिवालय की ओर से किए गए ट्वीट में लिखा गया, "उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने नए शैक्षणिक वर्ष से चुनिंदा शाखाओं में क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेजों के निर्णय का स्वागत किया है।" 


पिछले साल नवंबर में, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की थी कि वे 2021-22 शैक्षणिक वर्ष से क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा, विशेष रूप से इंजीनियरिंग पर जोर देंगे। मंत्रालय ने यह भी संकेत दिया था कि आईआईटी और एनआईटी जैसे कुछ शीर्ष इंजीनियरिंग स्कूल इसे सबसे पहले लागू करने वाली लिस्ट में शामिल हो सकते हैं।

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