By अंकित सिंह | Dec 16, 2020
भारतीय राजनीति में जब-जब लंबे टिकने वाले गठबंधनों की बात होगी तो उसमें भाजपा और अकाली दल गठबंधन का नाम जरूर आएगा। चाहे परिस्थिति कैसी भी रही हो, दोनों दलों ने पंजाब में एक साथ रहने का फैसला किया। आलम यह रहा कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी के दौर में भी भाजपा पंजाब में खुद को अकाली दल के सहारे ही आगे बढ़ाती रही। लेकिन भारतीय राजनीति में यह बात भी सच है कि जब रिश्ते टूटते हैं तो दरारें गहरी होती जाती है। फिलहाल यही देखने को मिल रहा है भाजपा और अकाली दल के बीच। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर अकाली दल ने भाजपा से अपना पुराना नाता तोड़ लिया। इधर, भगवा पार्टी ने भी ज्यादा मान मनौव्वल की कोशिश नहीं की। अब आलम यह है कि दोनों दल एक दूसरे पर जमकर बरस रहे हैं। अकाली दल के अध्यक्ष और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने तो भाजपा को असली टुकड़े टुकड़े गैंग बता दिया।
अकाली दल की नेता और सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में बादल ने एक बयान में आरोप लगाया कि भाजपा ‘‘एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ करके देश को टुकड़ों में बांट रही है’’। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘वह सत्ता के लिए इतनी हताश है कि उसे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का रास्ता अपनाने और देश को सांप्रदायिक आग में धकेलने में भी संकोच नहीं है।’’ बादल ने कहा, ‘‘वह (भाजपा) पंजाब में हमारे शांतिप्रिय हिंदू भाइयों को उनके सिख भाइयों के खिलाफ करने की साजिश रच रही है जिनके साथ उनके सदियों से खून के मजबूत रिश्ते रहे हैं। भाजपा खून के उन रिश्तों की जगह खून-खराबा चाहती है।’’ अकाली दल अध्यक्ष ने भाजपा पर केवल तुच्छ राजनीतिक मकसद की पूर्ति के लिए बड़ी मेहनत से बनाए गए शांति और सांप्रदायिक सौहार्द के माहौल को बिगाड़ने की खतरनाक साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा नेतृत्व को समझना चाहिए कि आज उनकी पार्टी सबसे अधिक शक्तिशाली विभाजनकारी ताकत बन गई है। यह देश को बांट रही है और उसके लोग धर्म के नाम पर नफरत फैला रहे हैं।’’ अकाली दल प्रमुख ने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘भाजपा को छोड़कर पूरा देश कृतज्ञता के साथ हमारे देशभक्त किसानों और जवानों के हमारे ऊपर ऋण को मानता है।’’