By ईशा | Sep 20, 2016
राजधानी पटना से लगभग सौ किलोमीटर दूर नालंदा स्थित राजगीर पर्यटकों का हमेशा से आकर्षण का केंद्र रहा है। राजगीर में मौर्य वंश का शासन हुआ करता था। यह मगध साम्राज्य की पहली राजधानी भी रहा है। लगभग 1000 ईसवीं पूर्व इस जगह का सबसे पहले पता लगाया गया। राजगीर गौतम बुद्ध की पसंदीदा जगहों में से एक था। यहां बौद्ध धर्म की छाप को आसानी से देखा जा सकता है।
राजगीर का नाम वहां के राजा के घर के नाम पर पड़ा। लगभग 5वीं शताब्दी के दौरान मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। उस वक्त इस शहर का नाम राजगृह हुआ करता था। इसका इतिहास महाभारत काल से भी संबंधित है। यह शहर जरासंध के साथ हुए पांडवों और भगवान श्रीकृष्ण की कहानी भी कहता है। भगवान श्रीकृष्ण ने जरासंघ को यहां लगभग 17 बार हराया था। पर अठारहवीं बार भगवान श्रीकृष्ण जरासंध से लड़े बिना मैदान छोड़ गए। पांडव भाई भीम के साथ भी जरासंध की लड़ाई का यह शहर गवाह बना। उस वक्त जरासंध यहां का राजा हुआ करता था। उसके बाद जरासंध की युद्ध में मृत्यु हो गई। यहां पर जरासंध का प्रसिद्ध अखाड़ा भी देखा जा सकता है। यहां पर अब मार्शल आर्ट का अभ्यास किया जाता है।
राजगीर को दो हिस्सों में बांटा गया है। पुराना और नया राजगीर। पुराना राजगीर घाटियों के बीच और छोटे पहाड़ों से घिरा हुआ है। नए राजगीर की बात करें, तो यह बड़ा शहर है और उत्तरी घाटियों की तरफ से खुलता है और आधुनिक शहर का प्रतिबिंब है। यह जगह जैन और बौद्ध धर्म के संस्थापक की यादें संजोए हुए है। यहां के इतिहास में दोनों धर्मों का आसानी से अवलोकन किया जाता है। इस जगह गौतम बुद्ध ने कई महीने ध्यान में बिताए थे। यहां के एक पहाड़ की सप्तपरनी गुफा में पहला बौद्ध काउंसिल आयोजित किया गया था। भगवान महावीर ने लगभग 14 साल राजगीर और नालंदा में बिताए थे, जिसमें से वर्षा ऋतु के लगभग चार महीने राजगीर में बिताए थे। इस वजह से राजगीर जैनियों के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान बना। यहां पर जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले बहुत लोग हैं।
घाटियों में बसा यह शहर सात पहाड़ों वैभरा, रत्ना, सैल, सोना, उदय, छठा और विपुला से घिरा है। राजगीर में मौजूद गर्म कुंड ठंड में यहां आने वाले पर्यटकों का ध्यान खींचता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है। ऐसा माना जाता है कि इस कुंड में नहाने से कई रोग दूर होते हैं। सप्तपर्णी गुफा यहां मौजूद गर्म पानी कुंड का भी एक स्रोत है जो हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के लिए बेहद पवित्र माना जाता है। दूसरे मुख्य आकर्षण में पहाड़ पर बना विश्व शांति स्तूप, मखदूम कुंड और मोनेस्ट्री हैं, जिसे जापानी भक्तों ने रत्नागिरी पहाड़ की चोटी पर बनवाया था। विश्व शांति स्तूप को 1969 में बनाया गया था। यह दुनिया के 80 शांति स्तूपों में शामिल है, जो शांति और अहिंसा का प्रचार करता है। यहां मौजूद कृत्रिम वेनू-वाना जंगल दर्शनीय है। इसके बगल में जापानी मंदिर भी देखा जा सकता है। राजगीर के दूसरे मुख्य आकर्षण हैं- बिंबिसार कारागार, अजातशत्रु किला और जरासंघ अखाड़ा।
राजगीर जाने के लिए हवाई, रेल और सड़क तीनों यातायात का इस्तेमाल किया जा सकता है। नई दिल्ली से श्रमजीवी एक्सप्रेस से राजगीर जाया जा सकता है। राजधानी पटना से भी रेल, सड़क, यातायात से वहां पहुंचा जा सकता है। राजगीर जाने का बेहतर समय है अक्टूबर से मार्च। जून से जुलाई तक यहां ज्यादा बारिश होती है।
ईशा