अंडमान में हैं शहीदों के स्मारक और उनसे जुड़ी स्मृतियां

By प्रीटी | Dec 28, 2021

आजकल चल रहे वीर सावरकर वाले विवाद के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यह विवाद शुरू हुआ अंडमान जेल में उनकी मूर्ति न लगाने को लेकर। अब प्रश्न यह किया जा सकता है कि अंडमान जेल ही क्यों? क्योंकि यही वह जगह है जहां ब्रिटिश शासनकाल के दौरान भारतीय बंदियों को कड़ी से कड़ी सजा देने के लिए काला पानी भेजा जाता था।

इसे भी पढ़ें: 26 वर्षों से तैयार हो रहे ॐ आकार वाले शिव मंदिर की ये हैं खूबियां, अवलोकन दर्शन अवश्य कीजिए

चूंकि उस काल तक यहां का पर्यावरण रहने के अनुकूल नहीं समझा जाता था, इसलिए इन द्वीपों के आदिवासी तो किसी प्रकार जी लेते थे, लेकिन जब वहां बहुत संख्या में भारतीय बंदी जाने लगे तो उन्हें जीने के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए कठिन प्रयत्न करना पड़ा। यह सच है कि उस काल में भारतीयों को जहां कहीं भी निर्वासित किया गया, उन्होंने कठिन परिश्रम से वहां के वातावरण को ही बदल डाला। मारीशस, सूरीनाम, त्रिनिदाद आदि इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।


यह स्वीकारने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए कि भारतीय अपने श्रम से प्रतिकूल स्थितियों को बदल देने का साहस भी रखते हैं। उसी साहस का प्रतिफल अंडमान के सुंदर द्वीप समूह हैं। कौन जानता था कि जिन भारतीयों को सजा भुगतने के लिए इन द्वीपों में भेजा जा रहा था, वे इसका कायाकल्प ही कर डालेंगे। आज यह भारतीय शहीदों का स्मारक है।


अंडमान निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर है। आज यह फूलों की नगरी है जहां देश−विदेश के लाखों सैलानी प्रतिवर्ष आते हैं। यहां यह सेल्युलर जेल भी है जहां भारतीय बंदियों को रखा जाता था। सप्तभुज इस दानवाकार जेल का निर्माण कैदियों द्वारा ही कराया गया था।

इसे भी पढ़ें: ऐतिहासिक और रमणीक हिल स्टेशन है चिकमगलूर

अंग्रेजी सल्तनत में भारत के तत्कालीन गर्वनर जनरल लॉर्ड कार्नवालिस ने लेफ्टिनेंट आर्वोबाल्ड ब्लेयर को इन द्वीपों के सर्वेक्षण के लिए नियुक्त किया था। उसी के सर्वेक्षण के आधार पर 1779 ई. में यहां पहली आबादी कायम हुई थी और उसी के नाम पर इस स्थान का नाम पोर्ट ब्लेयर पड़ा था।


इसका इतिहास बड़ा विचित्र है। यह द्वीप समूह ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और जापान आदि देशों के कब्जे में रहा है। बाद में इसे आस्ट्रिया की महारानी मेरियाथ्रूस को उपहार स्वरूप दिया गया था, जिसे बाद में डचों ने भी हथियाया था।


अंडमान नामकरण के संबंध में अनेक किवदंतियां प्रसिद्ध हैं। एक किवदंती के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका जाने के लए यहां पुल बनवाया था, जो रामभक्त श्रीहनुमान के नाम पर हनुमान कहलाया था। दूसरी किवदंती के अनुसार अरब वासियों ने इसका नाम अंडमान रखा था। अंडमान से अंगमैन फिर बाद में इसका नाम अंडमान हुआ। मार्कोपोलो ने भी अपनी यात्रा विवरण में इसका वर्णन किया है। उसने लिखा है कि इस ज्वालामुखीय द्वीप समूह का सौन्दर्य गजब का है।


प्रीटी

प्रमुख खबरें

धमकी भरे आतंकी ईमेल, स्कूली आपातकाल और दहशतजदा छात्र-अभिभावक

Lok Sabha Elections: उमर अब्दुल्ला ने बारामूला सीट से नामांकन दाखिल किया

भारत-चीन है जेनोफोबिक, बाइडेन ने अर्थव्यवस्था को लेकर दिया अटपटा बयान, कहा- बाहरी लोगों से नफरत करने की वजह से ही...

मोदी सरकार ‘‘अंधाधुंध’’ निजीकरण लागू करके आरक्षण ‘छीन’ रही है: Rahul Gandhi