By अनुराग गुप्ता | Nov 30, 2021
नयी दिल्ली। कोरोना महामारी के कारण कुछ महीनों की देरी के बाद भारतीय सेना के निगरानी तंत्र को मजबूत करने की कोशिश की गई है। आपको बता दें कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ जारी विवाद के बीच लद्दाख में निगरानी तंत्र को मजबूत करने के लिए इजराइल ने भारतीय सेना को 'उन्नत हेरॉन ड्रोन' को प्रदान किया गया है। समाचार एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक, इजराइल ने भारत को 'उन्नत हेरॉन ड्रोन' आपातकालीन खरीद खंड के तहत प्रदान किया है।
एएनआई ने शीर्ष सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि उन्नत हेरॉन ड्रोन देश में आ गए हैं और पूर्वी लद्दाख सेक्टर में निगरानी के लिए तैनात किए जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, उन्नत हेरॉन ड्रोन अभी काम कर रहे हैं और यह पुराने हेरॉन की तुलना में काफी बेहतर हैं। इन ड्रोनों का अधिग्रहण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा रक्षा बलों को दी गई आपातकालीन वित्तीय शक्तियों के तहत किया गया है। इसी के तहत वे चीन के साथ चल रहे सीमा संघर्ष के बीच अपनी युद्धक क्षमताओं को विकसित करने के लिए 500 करोड़ रुपए के उपकरण और सिस्टम खरीद सकते हैं।
आपतकालीन खरीदी का सभी कर चुके हैं इस्तेमाल
सूत्रों के मुताबिक अन्य छोटे ड्रोन भारतीय कम्पनियों से खरीदे जा रहे हैं। आपको बता दें कि चीन के साथ जारी गतिरोध के बीच भारतीय सुरक्षा प्रणाली को उन्नत बनाने के लिए यह पहल की जा रही है। इससे पहले रक्षा बलों को ऐसी सुविधा 2019 में पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों के खिलाफ बालाकोट हवाई स्ट्राइक के ठीक बाद दी गई थी। इसी सुविधा का इस्तेमाल करते हुए भारतीय नौसेना ने दो प्रीडेटर ड्रोन अमेरिकी फर्म जनरल एटॉमिक्स से लीज पर लिए हैं। भारतीय वायु सेना ने लगभग 70 किमी की स्ट्राइक के लिए हैमर एयर टू ग्राउंड स्टैंडऑफ मिसाइलों के साथ बड़ी संख्या में एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल हासिल करने के लिए समान शक्तियों का प्रयोग किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, पूंजी अधिग्रहण मार्ग के तहत आपातकालीन खरीद अधिकार इस साल 31 अगस्त को समाप्त हो गए। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सशस्त्र बलों के पास अंतिम चरण में कुछ और परियोजनाएं हैं और यदि उन्हें विस्तार मिलता है तो वे अपनी लड़ाकू क्षमताओं में सुधार के लिए उपकरण को खरीदने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।