Jan Gan Man: Pakistan में हिंदुओं पर अत्याचार से बड़ा दुख होता है मगर हिंदू तो अब यहां भी अत्याचार सह रहे हैं

By नीरज कुमार दुबे | Aug 02, 2023

हरियाणा में जो हिंसा हुई है उसको देखते हुए सवाल उठता है कि क्यों हमेशा हिंदुओं के त्योहारों, उनकी शोभा यात्राओं, जुलूसों और देवी देवताओं को ही निशाना बनाया जाता है। हम पाकिस्तान में तो हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की खबरों को सुनकर व्यथित होते हैं लेकिन हिंदुस्तान में हिंदुओं पर हो रहे हमलों से सवाल खड़ा होता है कि क्या हिंदू अपने ही देश में सुरक्षित नहीं हैं? यह आश्चर्यजनक है कि देश के कुछ राज्यों में रामनवमी और हनुमान जयंती पर निकाली जाने वाली शोभा यात्राओं पर पथराव किया जाता है, हिंदू त्योहारों का अक्सर मजाक उड़ाया जाता है, हिंदुओं के धार्मिक जुलूसों में बाधा पैदा की जाती है या उन्हें निकालने की अनुमति ही नहीं दी जाती है, हिंदू देवी देवताओं के बारे में अपमानजनक बातें कही जाती हैं और हिंदू धर्मग्रंथों के बारे में अपशब्द कहे जाते हैं। यही नहीं, हिंदुओं के आराध्य का मजाक उड़ाने या अपमान करने का सिलसिला ऐसा बढ़ता जा रहा है कि इसमें बड़े-बड़े लोग भी शामिल होने लगे हैं।


बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर राय और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने श्रीरामचरितमानस के बारे में अपमानजनक बातें कहीं तो अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में होने का दावा करने वाला बुद्धिजीवी वर्ग चुप रहा। असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने भगवान श्रीकृष्ण को लेकर विवादित बात कही तब भी अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में होने का दावा करने वाला बुद्धिजीवी वर्ग चुप रहा अब केरल विधानसभा के अध्यक्ष एएन शमशीर ने भगवान गणेश के बारे में विवादित बयान देते हुए उन्हें एक मिथक बताया तब भी अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में होने का दावा करने वाला बुद्धिजीवी वर्ग चुप रहा। ऐसे मुद्दों पर मोहब्बत की दुकान चलाने का दावा करने वाले नेता भी चुप रहते हैं और पल पल की खबर आप तक पहुँचाने का दावा करने वाले बड़े बड़े मीडिया संस्थान भी चुप्पी साधे रहते हैं।

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बहरहाल, अब हरियाणा के नूंह में जिस तरह जल कलश यात्रा पर पथराव किया गया उससे सवाल उठा है कि आखिर हर बार हिंदुओं को ही निशाना क्यों बनाया जाता है? यह सही है कि हिंदू सहिष्णु है और कानून का पालन करता है, लेकिन अब यह भी लग रहा है कि इसे ही हिंदुओं की कमजोरी मान लिया गया है और तभी कभी सनातन धर्म तो कभी उसके प्रतीकों पर हमला किया जाता है। हरियाणा की हिंसा से यह भी साफ प्रदर्शित हो रहा है कि एक पक्ष ने इस हिंसा के लिए बहुत पहले से तैयारी कर रखी थी। सवाल उठता है कि आखिर इसका इलाज क्या है? जब हमने इस विषय पर भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय से बात की तो उन्होंने कहा कि पत्थरबाजी का पक्का ईलाज यह है कि विशेष स्कूल और विशेष दर्जा बंद करिए। उन्होंने कहा कि पुलिस रिफार्म-ज्यूडिशियल रिफार्म करिए, घुसपैठ, घूसखोरी, कालाधान, हवाला धर्मांतरण और विदेशी चंदा नियंत्रण के लिए कठोर कानून बनाइए साथ ही समान शिक्षा, समान नागरिक संहिता, समान जनसंख्या संहिता और समान धर्मस्थल संहिता को लागू करिए।

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