By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 13, 2018
नयी दिल्ली। राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण (एनएए) ने ई-वाणिज्य कंपनियों का माल एवं सेवाकर (जीएसटी) ऑडिट करने के आदेश दिए थे। लेकिन अब यह मसला इस मामले में प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र को लेकर अटक गया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) का मानना है कि प्राधिकरण को इस तरह का निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है।
इस महीने की शुरूआत में प्राधिकरण ने सीबीआईसी को लिखा था कि सभी ई-वाणिज्य कंपनियों के खातों की महानिदेशक ऑडिट (डीजी ऑडिट) द्वारा जांच की जानी चाहिए ताकि यह देखा जा सके कि इन कंपनियों ने अतिरिक्त तौर पर संग्रहित जीएसटी अपने ग्राहकों को लौटाया है या नहीं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीबीआईसी का मानना है कि सभी ई-वाणिज्य कंपनियों के खातों का ऑडिट कराना तकनीकी तौर पर व्यवहारिक नहीं है क्योंकि इनमें से कुछ कंपनियों का पंजीकरण राज्य सरकारों के साथ भी हो सकता है। अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘प्राधिकरण ने कहा कि सभी ई-वाणिज्य कंपनियों डीजी ऑडिट किया जाना चाहिए।
लेकिन ऐसा व्यवहारिक नहीं है क्योंकि डीजी ऑडिट उन्हीं कंपनियों का किया जा सकता है जिनका पंजीकरण केंद्र सरकार के तहत हुआ हो। राज्यों में पंजीकृत कंपनियां राज्य कर अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र का हिस्सा हैं।’’उन्होंने कहा कि सीबीआईसी इस बारे में जल्द अपना जवाब प्राधिकरण को भेजेगी। अधिकारी ने कहा कि राज्य और केंद्र के कर अधिकारी आपस में जांच करने वाले काम कर सकते हैं लेकिन करदाताओं के खातों के नियमित आकलन में अधिकार क्षेत्र का मसला बना रहेगा।