By अनुराग गुप्ता | Jan 14, 2021
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव से पहले ही ममता बनर्जी को बड़ा झटका लगा है। इस बार का चुनाव ममता दीदी के लिए झटकों से कम भी नहीं है क्योंकि बंगाल में मुख्य विपक्षी के तौर पर भाजपा ने कानून व्यवस्था के मुद्दे पर उन्हें घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ी है। बीते दिनों तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा की 'विभाजनकारी नीतियों' के खिलाफ लड़ने के लिए कांग्रेस और वामदलों का समर्थन मांगा था लेकिन कांग्रेस ने तो तृणमूल के ऑफर को ठुकरा दिया और उनके समक्ष एक पेशकश कर दी।
पिछले विधानसभा चुनाव (2016) में कांग्रेस और वामदलों ने जहां विपक्षी पार्टी के तौर पर ममता के खिलाफ चुनाव लड़ा था वहीं इस बार ममता दीदी को उन्हीं विपक्षी दलों की जरूरत समझ में आ रही है। 2016 के चुनाव में कांग्रेस और वामदलों ने सभी 294 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन 76 सीटों पर ही अपना कब्जा जमा पाए थे। वहीं, हाल की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा को 18 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था और ममता बनर्जी ने रिकॉर्ड 211 सीटें जीतकर फिर से सत्ता में काबिज हो गईं।
बंगाल में जहां तृणमूल कांग्रेस का कब्जा था आज उसी बंगाल में तृणमूल को भाजपा से चुनौती मिल रही है और तृणमूल को भाजपा की चुनौती का सामना करने के लिए सहयोगियों की जरूरत है लेकिन सहयोगी बनने की जगह कांग्रेस और वामदलों ने तृणमूल के ऑफर को ठुकरा दिया और फिर कांग्रेस ने तृणमूल को पार्टी में विलय की पेशकश की।
भगवा दल के खिलाफ लड़ने का सामर्थ्य नहीं
भाजपा ने कांग्रेस-वामदल के साथ गठबंधन की अपील करने वाली तृणमूल पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी के पास बंगाल में विधानसभा चुनावों में अपने दम पर भगवा पार्टी का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने बताया कि यह तृणमूल कांग्रेस की हताशा को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि वह (तृणमूल कांग्रेस) हमसे अकेले नहीं लड़ सकते हैं, इसलिए वे दूसरे दलों से मदद मांग रहे हैं। जिसका मतलब है कि भाजपा ही तृणमूल कांग्रेस का एकमात्र विकल्प है।
कांग्रेस से अलग होकर बनी थी तृणमूल
ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1988 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी और अब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी चाहते हैं कि भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए तृणमूल कांग्रेस को कांग्रेस में विलय कर लेना चाहिए। जानकार बताते हैं कि कांग्रेस आलाकमान चाहती है कि बंगाल में कांग्रेस और वामदल ममता के साथ मिलकर चुनाव लड़े लेकिन अधीर रंजन चौधरी और स्थानीय नेता ऐसा नहीं चाहते हैं। अगर तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस और वामदल मिलकर चुनाव लड़ते तो सबसे ज्यादा फायदा किसी को होता वह कांग्रेस और वामदल ही थे।