By अभिनय आकाश | Mar 24, 2022
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 49वें सत्र के दौरान एक कश्मीरी बुद्धिजीवी और मानवाधिकार कार्यकर्ता ने बीजिंग द्वारा अक्साई चिन पर अवैध कब्जे का मुद्दा उठाया जिससे चीन को मिर्ची लग गई है। ब्रसेल्स स्थित यूरोपीय फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) के निदेशक औक श्रीनगर के कश्मीरी जुनैद कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र के सामने बीजिंग के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को चीन के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर" शब्द को औपचारिक रूप देने का आह्वान किया।
जुनैद ने कहा कि अक्साई चिन जम्मू और कश्मीर के 20 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में शामिल है और लगभग भूटान के समान आकार का है। जम्मू और कश्मीर मुद्दे पर मौजूदा शब्दावली के आधार पर, संयुक्त राष्ट्र और उसके यूएनएचआरसी जैसे विभिन्म अंगों से ने चीन द्वारा क्षेत्र के बड़े हिस्से पर अवैध कब्जे की पूरी तरह से अनदेखी की है। उन्होंने कहा कि इस चूक का गंभीर प्रभाव पड़ा है। उस लिहाज से इस तरह की चूक का गंभीर प्रभाव पड़ा है।
चीन ने जुनैद की इस मांग का विरोध किया है। इस बयान को चीन की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ बताया है। बता दें कि 1950 के दशक के दौरान चीन ने अक्साई चिन (लगभग 38,000 वर्ग किमी क्षेत्र) पर कब्जा कर लिया और 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान इस क्षेत्र पर अपनी सैन्य पकड़ मजबूत कर ली। यह क्षेत्र दोनों देशों के बीच विवाद का विषय बना रहा।