By अंकित सिंह | May 11, 2023
बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर राजनीति तेज है। पिछले दिनों पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार द्वारा किये जा रहे जाति आधारित गणना पर रोक लगा दी थी। अब बिहार सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। बिहार सरकार ने राज्य में जाति आधारित जनगणना पर अंतरिम रोक लगाने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया। बिहार सरकार साफ तौर पर दावा कर रही है कि वह जाति आधारित गणना को लेकर प्रतिबद्ध है। पटना HC के जाति आधारित जनगणना पर रोक लगाने के बाद कहा बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा था कि जाति आधारित जनगणना लोगों के कल्याण के लिए है, हम गरीबी, पिछड़ेपन को मिटाना चाहते हैं। एक बात स्पष्ट है, यह होना तय है।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद राज्य में विपक्षी दल भाजपा पर जमकर बरसे थे। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर कहा जातिगत जनगणना बहुसंख्यक जनता की मांग है और यह हो कर रहेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘जो जातीय गणना का विरोधी है वह समता, मानवता, समानता का विरोधी एवं ऊंच-नीच, गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ेपन, सामाजिक व आर्थिक भेदभाव का समर्थक है। साथ ही लालू ने कहा कि देश की जनता जातिगत जनगणना पर भाजपा की कुटिल चाल और चालाकी को समझ चुकी है। बिहार भाजपा के नेता तारकिशोर प्रसाद कहा था कि मेरा मानना है कि माननीय (पटना) उच्च न्यायालय ने जाति आधारित जनगणना (बिहार में) को कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते रोक दिया है। देखते हैं आगे क्या होता है।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार को जाति आधारित सर्वेक्षण को तुरंत रोकने और इस सर्वेक्षण अभियान के तहत अबतक एकत्र किए गए आंकडों को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया। पीठ ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि मामले में अंतिम आदेश पारित होने तक इन आंकड़ों को किसी के भी साथ साझा नहीं किये जायें। अदालत मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख तीन जुलाई तय की है। अदालत ने कहा,‘‘हमारी राय है कि याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा जाति आधारित सर्वेक्षण की प्रक्रिया को जारी रखने के खिलाफ तथा आंकडे की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाया है, जिसका सरकार की ओर से विस्तृत समाधान किया जाना चाहिए।’’