विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति को जमीन पर उतारने में जुट गई हैं। सभी पार्टियां अपनी संगठन को मजबूत करने और वोटर्स को बूथ तक लाने के लिए अपने प्लान तैयार कर लिए है। हालांकि बिहार में सीधा मुकाबला दो गठबंधनों के बीच में है। एक ओर एनडीए है तो दूसरी ओर महागठबंधन है। दोनों ही गठबंधनों में सीट बंटवारे को लेकर पेच फंसा हुआ है। दोनों ही गठबंधन में सीट का उलझन फिलहाल जारी है। छोटे दल बड़े दलों पर दबाव बनाने की कवायद जारी रखे हुए है लेकिन एक बात तय माना जा रहा है कि भाजपा, जनता दल यूनाइटेड, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और लोक जनशक्ति पार्टी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेगे।
वही, महागठबंधन में आरजेडी के साथ कांग्रेस, रालोसपा और वीआईपी जैसी पार्टियां शामिल रहेंगी। यह भी माना जा रहा है कि महागठबंधन में वामदलों को भी जगह दी जा सकती है। दूसरी ओर एनडीए ने अपने कुछ विधायकों को अपने अपने क्षेत्र में चुनावी तैयारियां शुरू करने की इजाजत दे दी है। हालांकि वर्तमान विधायक यह भी बताने के पक्ष में नहीं है कि उन्हें दोबारा उम्मीदवार बनाया जाएगा या नहीं। सूत्र यह भी दावा कर रहे है कि भाजपा और जदयू के बीच सीटों को लेकर लगभग सहमति बन चुकी है। जहां भाजपा अपने कोटे से लोजपा को सीट देगी तो वहीं जदयू अपने कोटे से जीतन राम मांझी की पार्टी को कुछ सीटें दे सकती है। विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के फार्मूले पर ही सीट का बंटवारा हो सकता है। जदयू 119 और भाजपा 100 सीटों पर चुनाव लड़ सकते है। लेकिन कुछ विशेषज्ञ इस फार्मूले से इंकार कर रहे हैं।
भाजपा की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि एनडीए नीतीश कुमार के ही चेहरे पर बिहार में चुनाव लड़ेगा। ऐसे में एनडीए में सीएम कैंडिडेट को लेकर किसी तरह की खटपट नहीं है। हालांकि लोजपा के सख्त तेवर एनडीए में परेशानी को बढ़ा सकती है। महागठबंधन में सीट को लेकर फिलहाल किसी तरह की सार्वजनिक चर्चा नहीं है। रांची में लालू दरबार में नेता लगातार पहुंच रहे है। पर आखरी फैसला नहीं हो पाया है। माना जा रहा है कि कांग्रेस और आरजेडी के बीच तालमेल बैठने के बाद ही अन्य सहयोगियों को सीट बंटवारे में शामिल किया जाएगा। आरजेडी 160 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। हालांकि कांग्रेस कम से कम 85 सीटों पर दावा ठोक रही है। इसके लिए कांग्रेस ने बकायदा जमीन पर अपनी स्थिति मजबूत करने की शुरुआत कर दी है।
महागठबंधन में भी सीट बंटवारे को लेकर जब चर्चा होगी तो सभी घटक दलों को खुश कर पाना आरजेडी के लिए चुनौती भरा रहेगा। लालू की अनुपस्थिति में आरजेडी के लिए यह काम और भी मुश्किल भरा रह सकता है। लेकिन महागठबंधन में सबसे बड़ी लड़ाई इस बात को लेकर है कि आखिर नीतीश के मुकाबले सीएम का चेहरा कौन होगा। आरजेडी हर हाल में तेजस्वी के ही नाम पर चुनाव लड़ना चाहती है। हालांकि कांग्रेस और अन्य सहयोगी दल इस बात के लिए तैयार नहीं है। उनका तर्क यह भी है कि तेजस्वी यादव को आगे कर लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को कुछ हासिल नहीं हुआ। अब देखना होगा कि आखिर चुनाव घोषित होने से पहले दोनों गठबंधन सीट बंटवारे को लेकर किस तरह से सुलह कर पाते है।