PM मोदी ने कोसी रेल महासेतु राष्ट्र को किया समर्पित, बिहार के लिए 12 रेल परियोजनाओं का भी किया शुभारंभ

Narendra Modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में बिहार सरकार द्वारा किए गए कामों के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना की।

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को ‘ऐतिहासिक’ कोसी रेल महासेतु को राष्ट्र को समर्पित किया और बिहार के रेल यात्रियों की सुविधाओं के लिए 12 रेल परियोजनाओं का शुभारंभ भी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि आज बिहार में रेल संपर्क बहाल करने के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है और ये परियोजनाएं राज्य में व्यापार, कारोबार, उद्योग, रोजगार को भी बढ़ावा देने वाली हैं। वीडियो कांफ्रेस के माध्यम से आयोजित इस समारोह में बिहार के राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, रविशंकर प्रसाद, गिरिराज सिंह और नित्यानंद राय ने भी हिस्सा लिया। 

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इन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद मोदी ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज बिहार में रेल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में नया इतिहास रचा गया है। कोसी महासेतु और किउल ब्रिज के साथ ही बिहार में रेल यातायात, रेलवे के बिजलीकरण और रेलवे में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने, नए रोजगार पैदा करने वाली एक दर्जन परियोजनाओं का आज लोकार्पण और शुभारंभ हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि लगभग 3000 करोड़ रुपये की इन परियोजनाओं से बिहार का रेल नेटवर्क तो सशक्त होगा ही पश्चिम बंगाल और पूरे भारत का रेल संपर्क भी मजबूत होगा।

कोसी महासेतु को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की परिकल्पना बताते हुए मोदी ने कहा कि यह नीतीश कुमार का ड्रीम प्रोजेक्ट रहा है। वर्ष 2003 में इसकी नींव रखी गई थी और अब जाकर इसे राष्ट्र को समर्पित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘जब 2003 में नीतीश जी रेल मंत्री थे और अटल जी प्रधानमंत्री, तब नई कोसी रेल लाइन परियोजना की परिकल्पना की गई थी। इसका उद्देश्य यही था कि मिथिला और कोसी क्षेत्र के लोगों की दिक्कतों को दूर किया जाए। इसी सोच के साथ 2003 में अटल जी द्वारा इस परियोजना का शिलान्यास किया गया था। लेकिन अगले वर्ष अटल जी की सरकार चली गई और उसके बाद कोसी रेल लाइन परियोजना की रफ्तार भी उतनी ही धीमे हो गई।’’ 

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विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि इस दौरान सत्ता में रहने वालों को अगर मिथिलांचल की फिक्र होती, बिहार के लोगों की दिक्कतों की फिक्र होती, तो कोसी रेल लाइन परियोजना पर तेजी से काम हुआ होता। उन्होंने कहा, ‘‘कोसी और मिथिला क्षेत्र के लिए ये महासेतु सुविधा का साधन तो है ही, यह इस पूरे क्षेत्र में व्यापार, कारोबार, उद्योग व रोजगार को भी बढ़ावा देने वाला है। आज आत्मनिर्भरता और आधुनिकता की प्रतीक, वंदे भारत जैसी भारत में बनी ट्रेनें रेल नेटवर्क का हिस्सा होती जा रही हैं।आज देश के अनछुए हिस्सों को रेल नेटवर्क के साथ जोड़ने की, रेलमार्गों के चौड़ीकरण और बिजलीकरण की व्यवस्था का तेजी से विस्तार हो रहा है।’’ मोदी ने कहा कि बिहार में गंगा, कोसी, सोन जैसी नदियों के विस्तार के कारण यहां के अनेक हिस्से एक-दूसरे से कटे हुए रहे हैं ओर इसकी वजह से लोगों की एक बड़ी दिक्कत रही है। नदियों की वजह से होने वाला सफर लंबा हो जाया करता था।

उन्होंने कहा, ‘‘जब नीतीश जी रेल मंत्री थे, जब पासवान जी रेल मंत्री थे, तो उन्होंने भी इस समस्या को दूर करने के लिए बहुत प्रयास किया था। लेकिन फिर एक लंबा समय वो आया जब इस दिशा में ज्यादा काम ही नहीं किया गया।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले के पांच सालों में लगभग सवा तीन सौ किलोमीटर नई रेल लाइन शुरू हुई थी, जबकि 2014 के बाद के पांच सालों में बिहार में लगभग 700 किलोमीटर रेल लाइन यानी करीब-करीब दोगुने से भी अधिक नई रेल लाइन शुरू हुईं। मोदी ने इस अवसर पर स्वास्थ्य शिक्षा के क्षेत्र में बिहार सरकार द्वारा किए गए कामों के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना की। 

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उन्होंने कहा कि नीतीश के मुख्यमंत्री बनने से पहले तक बिहार में इक्का-दुक्का मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे। इससे बिहार में मरीजों को तो भारी दिक्कत थी ही बिहार के मेधावी युवाओं को भी मेडिकल की पढ़ाई के लिए दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ता था। उन्होंने कहा, ‘‘आज बिहार में 15 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं, जिसमें से अनेक बीते कुछ वर्षों में ही बनाए गए हैं। कुछ दिन पहले ही बिहार में एक नए एम्स की भी स्वीकृति दे दी गई है। ये नया एम्स दरभंगा में बनाया जाएगा।’’ इस अवसर पर गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से मोदी को बिहार की विशेष चिंता रही है और यहां के चौमुखी विकास के लिये उन्होंने भागीरथ कार्य किये हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आज का दिन बिहार के स्वर्णिम इतिहास में महत्वपूर्ण अध्याय साबित होने वाला है। 1934 के भूकंप ने बिहार के कोसी क्षेत्र को मिथिलांचल से अलग कर दिया, जिस बिहार को भूकंप ने बांट दिया, उसी को प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयासों से फिर जोड़ा जा रहा है।’’ गोयल ने कहा कि 2009 से 2014 के बीच रेलवे के लिये बिहार का रेलवे बजट औसतन 1,100 करोड़ रुपये हुआ करता था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस राशि को तीन गुना कर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘अब बिहार में रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिये प्रतिवर्ष लगभग 3,400 करोड़ रुपये निवेश किये जाते हैं।’’ कोसी महासेतु परियोजना को 2003-04 में केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी। इसकी लंबाई 1.9 किलोमीटर है और इसके निर्माण में 516 करोड़ रूपये की लागत आई है। 

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प्रधानमंत्री मोदी ने जिन परियोजाओं का शुभारंभ किया उनमें किउल नदी पर एक नया रेल पुल, दो नई रेल लाइनें, पांच विद्युतीकरण परियोजनाएं, एक विद्युत लोकोमोटिव शेड और बाढ़-बख्तियारपुर के बीच तीसरी नई लाइन परियोजना शामिल हैं। इनके अलावा प्रधानमंत्री ने दो नई लाइन परियोजनाओं हाजीपुर-घोसवार-वैशाली और इस्लामपुर-नातेशर का भी उदघाटन किया। उन्होंने करनौती-बख्तियारपुर संपर्क बाईपास और बाढ़-बख्तियारपुर के बीच तीसरी लाइन का भी उद्घाटन किया। पिछले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री ने बिहार को दर्जन भर से अधिक परियोजनाओं की सौगात दी है। बिहार में अक्टूबर-नवम्बर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। निर्वाचन आयोग कभी भी राज्य में चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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