By अभिनय आकाश | Oct 30, 2021
रोहिंग्या को वापस भेजने की मांग वाली याचिका का विरोध करने के तीन सप्ताह से भी कम समय में कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने अपना इरादा बदल दिया है। कर्नाटक सरकार ने रोहिंग्याओं के निर्वासन पर सुप्रीम कोर्ट में एक संशोधित हलफनामा दायर किया है और अपने पहले के रुख में बदलाव करते हुए कहा है कि कोर्ट इस मसले पर जो भी आदेश देगा उसका पालन किया जाएगा। राज्य सरकार ने एक नया हलफनामा दायर करते हुए कहा है कि अदालत के शरणार्थियों के खिलाफ कार्रवाई निर्धारित करने के लिए जो भी आदेश देगा उसका पालन किया जाएगा।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा 26 अक्टूबर को दायर एक याचिका दायर किया था। याचिका में अदालत से बांग्लादेशियों सहित अवैध प्रवासियों और घुसपैठियों की पहचान करने, उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने का आदेश देने की मांग की गई थी। केंद्र और कई राज्य सरकार द्वारा इस याचिका पर जवाब नहीं दिया गया है। 25 अक्टूबर को कर्नाटक की सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि याचिका कानूनी और तथ्यात्मक, दोनों आधारों पर गलत है। इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। कर्नाटक सरकार के इस रूख की खूब किरकिरी भी हुई थी जिसके बाद कोर्ट के समक्ष दूसरा हलफनामा प्रस्तुत किया गया।
दूसरे हलफनामे में क्या कहा गया है
राज्य के गृह विभाग में अपर सचिव केएन वनजा द्वारा दायर नए हलफनामे में खुलासा किया गया है कि राज्य में कुल 126 रोहिंग्याओं की पहचान की गई है जो किसी शिविर या निरोध केंद्र में नहीं रह रहे थे। हलफनामे में कहा गया है कि अदालत द्वारा जो भी आदेश पारित किया जाएगा, उसका ईमानदारी से पालन किया जाएगा।