By अभिनय आकाश | Jan 25, 2022
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने आज कहा कि भाजपा ने बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) को विधानसभा में पार्टी के गठबंधन सहयोगी के रूप में स्वीकार किया है। हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि आज से हमने असम विधान सभा के भीतर बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट को भाजपा के सहयोगी दलों में से एक के रूप में स्वीकार किया है। हमारा बीपीएफ के साथ पूर्ण समन्वय होगा और साथ ही वे असम विधानसभा में सत्ताधारी पार्टी के हिस्से में बैठेंगे। लेकिन असम के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि गठबंधन राजनीतिक स्तर पर नहीं था, और केवल विधानसभा तक ही सीमित रहेगा।
बता दें कि बीपीएफ ने 2016 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के साथ गठबंधन किया था और सर्बानंद सोनोवाल सरकार का हिस्सा था। 2020 के बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) चुनावों के दौरान बपीएफ और बीजेपी अलग हो गए। जबकि बीजेपी ने बीटीसी में सत्ता में आने और 2021 के विधानसभा चुनावों में गठबंधन जारी रखने के लिए यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के साथ हाथ मिलाया, वहीं बीपीएफ कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा बन गया। विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीपीएफ ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन से खुद को अलग कर लिया।
सरमा ने कहा कि यह दोस्ती विधानसभा तक ही सीमित रहेगी लेकिन राजनीतिक स्तर पर हमने ऐसा कोई फैसला नहीं लिया है। यह फैसला विधायक दल के स्तर पर ही लिया गया है। बीजेपी ने बीपीएफ के साथ गठबंधन नहीं किया है; बीजेपी विधायक दल और बीपीएफ विधायक दल मिलकर काम करेंगे। इस पर मैंने यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) से सहमति भी ली है और उनसे चर्चा भी की है। उन्हें इस नए गठन से कोई आपत्ति नहीं है। बीजेपी के इस कदम के बाद असम की 126 सीटों वाली विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन की ताकत बढ़कर 81 (भाजपा-62, यूपीपीएल-7, असम गण परिषद-9 और बीपीएफ-3) हो गई, जबकि विपक्ष की ताकत 44 हो गई।