By अभिनय आकाश | Sep 01, 2025
मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर मुंबई के आज़ाद मैदान में विरोध प्रदर्शन कर रहे मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारंगे की बॉम्बे हाईकोर्ट ने कड़ी आलोचना की हैं। हाईकोर्ट ने कहा कि जारंगे के नेतृत्व वाला विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं था और इसमें उन सभी शर्तों का उल्लंघन किया गया था जिनके तहत उन्हें अनुमति दी गई थी। अदालत ने कहा कि पूरा शहर ठप्प हो गया था और दक्षिण मुंबई के प्रमुख स्थानों को प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया था।
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की एक विशेष पीठ ने आरक्षण विरोध के खिलाफ एमी फाउंडेशन द्वारा दायर मामले की विशेष सुनवाई की। जारंगे ने मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर शुक्रवार को अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया। उन्होंने मराठों को कुनबी (अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल एक कृषक जाति) के रूप में मान्यता देने की मांग की, जिससे वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र हो सकें। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि उनकी मांग संवैधानिक रूप से वैध है, तथा कहा कि सरकारी रिकॉर्ड से यह साबित होता है कि कुनबी और मराठा एक ही जाति के हैं।
जरांगे ने चेतावनी दी कि अगर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनकी माँगें नहीं मानीं, तो 5 करोड़ से ज़्यादा मराठा मुंबई आ जाएँगे। उन्होंने कहा कि मराठा मुंबई आने का इंतज़ार कर रहे हैं। वे सही समय का इंतज़ार कर रहे हैं। अगर फडणवीस समुदाय की माँगें नहीं मानते, तो 5 करोड़ से ज़्यादा मराठा मुंबई आ जाएँगे। आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदाय के सैकड़ों लोग छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) और दक्षिण मुंबई के अन्य इलाकों में जमा हो गए, जिससे यातायात जाम हो गया और यात्रियों को परेशानी हुई। इसके जवाब में, पुलिस ने सीएसएमटी क्षेत्र की ओर जाने वाले वाहनों का मार्ग बदल दिया। अधिकारियों ने यह भी बताया कि बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) ने सीएसएमटी जाने वाली कई बस सेवाओं को निलंबित, परिवर्तित या छोटा कर दिया।