बंबई उच्च न्यायालय ने वकील Surendra Gadling को जमानत देने से इनकार किया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 01, 2023

बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने सूरजगढ़ लौह अयस्क खदान में आगजनी के 2016 के एक मामले के संबंध में वकील सुरेंद्र गाडलिंग को जमानत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ आरोप सही है। माओवादियों ने 25 दिसंबर 2016 को महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की इटापल्ली तहसील में सूरजगढ़ खदान से लौह अयस्क ले जाने में शामिल 76 वाहनों में कथित तौर पर आग लगा दी थी।

न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मीकि मेनेजेस की खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन द्वारा सौंपी गयी सामग्री के अवलोकन से यह मानने का उचित आधार दिखता है कि गाडलिंग के खिलाफ आरोप ‘‘प्रथम दृष्टया सही’’ हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हमलावर न केवल ट्रक चालकों के मन में आतंक पैदा करने बल्कि इलाके में खनन गतिविधि रोकने के इरादे से काम कर रहे थे जिससे आर्थिक सुरक्षा को खतरा पहुंचता।

उच्च न्यायालय ने कहा कि गाडलिंग के घर से बरामद एक हार्ड डिस्क के विश्लेषण से शक की कोई गुंजाइश नहीं है कि वह प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) से जुड़े हुए थे। गाडलिंग पर जमीनी स्तर पर सक्रिय माओवादियों को मदद देने तथा मामले में विभिन्न सह-आरोपियों तथा फरार आरोपियों के साथ साजिश रचने का आरोप है तथा वह सूरजगढ़ घटना में शामिल थे। गाडलिंग पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून तथा भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।

निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज होने के बाद गाडलिंग ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। उनके वकील फिरदौस मिर्जा ने दलील दी थी कि गाडलिंग के खिलाफ कोई सबूत नही है। गाडलिंग 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद के एक सम्मेलन में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़े एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में भी आरोपी हैं। पुलिस का दावा है कि इस भाषण के बाद पुणे जिले में अगले दिन कारेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के समीप हिंसा भड़क उठी थी।

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