किताब, मुस्लिमों में डर और सेक्युलरिज्म गायब, हामिद अंसारी के लिए बदला माहौल?

By अभिनय आकाश | Feb 01, 2021

अक्सर अपने बयानों के जरिये मोदी सरकार पर हमलावर रहने वाले पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कुछ दिन पहले उनकी आत्मकथा प्रकाशित हुए नाम है ''अ मेनी हैपी एक्सिडेंट: रिकलेक्शन्स ऑफ अ लाइफ'' जिसको लेकर एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू कि वजह से एक बार फिर हामिद अंसारी चर्चा में हैं। उन्होंने अपने इंटरव्यू में कहा कि सेक्युलरिजम सरकार की डिक्शनरी से गायब हो चुका है। लेकिन नहीं मुस्लिमों में असुरक्षा के अपने चर्चित बयान से संबंधित सवाल से बिफर कर उन्होंने एंकर की मानसिकता को ही कटघरे में खड़ा करते हुए बीच इंटरव्यू छोड़ ही चले गए। 

'जी न्यूज' नामक समाचार चैनल पर दिए अपने इंटरव्यू में पूर्व राष्ट्रपति ने सेक्युलरिज्म शब्द को सरकार की डिक्शनरी से गायब बताया। वहीं काउंटर सवाल कि क्या 2014 से पहले सरकार की डिक्शनरी में यह शब्द था तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि हां, लेकिन पर्याप्त मात्रा में नहीं। हिंदू आतंकवाद के वक्त क्या सरकार की डिक्शनरी में सेक्युलरिज्म था इस सवाल से हामिद अंसारी बिफर गए और कहा कि उन्होंने इस तरह की बात नहीं कही और किसी ए,बी,सी की कही बातों को मुझसे मत जोड़ें। जिन्होंने कहा उनसे पूछें। बार-बार मुस्लिमों में असुरक्षा वाले अपने बयान पर सवाल किए जाने से हामिद अंसारी नाराज होकर एंकर की मानसिकता पर सवाल उठाते हुए थैक्यू कह कर इंटरव्यू से उठ गए। 

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किताब में किए कई खुलासे

अपनी नई किताब को लेकर सुर्खियों में हैं। रूपा पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित किताब बाई अ मेनी हैपी एक्सिडेंट, रिकलेक्शन्स ऑफ अ लाइफ में हामिद अंसारी ने अपनी पैदाइश से लेकर दो बार देश के उपराष्ट्रपति रहने और इस दौरान हासिल अनुभवों का जिक्र किया है। इसके अलावा हामिद अंसारी ने अपनी किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामकाज को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपनी आत्मकथा में पीएम मोदी को गुजरात के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों समेत बतौर प्रधानमंत्री देश में निरंकुश अंदाज में सरका चलाने और संसद में मनमाने तरीकों से कानूनों को पास कराने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए हैं। 

गोधरा कांड को लेकर हामिद अंसारी ने ये लिखा

अपनी किताब में हामिद अंसारी ने लिखा कि गुजरात के दंगों को लेकर जनता में बेहद रोष था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलकर कार्रवाई की मांग करने वाले लोगों में मैं भी शामिल था। एडिटर्स गिल्ड ने पत्रकारों की एक टीम भी भेजी थी। अंसारी ने दावा किया कि पत्रकारों ने अपने समीक्षा में कहा था कि उस वक्त सीएम नरेंद्र मोदी के पास न तो सवाल के जवाब थे और न ही उन्हें कोई पछतावा था। उस वक्त मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन ने भी अटल बिहारी वाजपेयी को पत्र लिखकर धारा 355 के इस्तेमाल की वकालत की थी। लेकिन गोधरा कांड के वक्त राज्य सरकार का रवैया चौंकाने वाला था। अपनी किताब बाई अ मेनी हैपी एक्सिडेंट: रिकलेक्शन्स ऑफ अ लाइफ में उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने कामों का खुलासा करते हुए कहा था कि उन्होंने मुसलमानों के लिए भी कई काम किए हैं। जिनके बारे में कोई नहीं पूछता। 

पीएम मोदी ने कहा- आप मेरी मदद नहीं कर रहे

पूर्व उपराष्ट्रपति ने अपनी किताब में PM मोदी को लेकर किए चौंकाने वाले खुलासे

अपनी किताब में हामिद अंसारी ने लिखा कि एक दिन अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके राज्यसभा कार्यालय आ गए। मुलाकात के बाद पीएम ने कहा कि राज्यसभा के सभापति के रूप में आपकी यह भूमिका है कि कोई भी विधेयक हंगामे के बीच पारित ना हो जबकि उच्च सदन से विधेयक पारित कराने में अड़चन आ रही है। पीएम मोदी ने कहा कि आपसे बड़ी जिम्मेदारियों की उम्मीदें हैं लेकिन आप मेरी मदद नहीं कर रहे हैं। 

हामिद अंसारी हमेशा रहे विवादों में 

30 दिसंबर 2011 को, संसद के शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन था। अन्ना हजारे आंदोलन के मद्देनजर राज्य सभा में जन लोकपाल विधेयक पर गर्मागरम चर्चा हो रही थी। चर्चा के बाद मतदान होना था। आधी रात के आसपास, ऊपरी सदन के पदेन अध्यक्ष के रूप में अंसारी अपनी सीट पर आए थे। बहस के बीच में उन्होंने सदन को अचानक अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया। भाजपा के अलावा कई अन्य विपक्षी पार्टियां सरकार के खिलाफ थीं। सरकार के हारने की स्थिति बन गई थी। भाजपा ने सदन के अचानक स्थगित कर देने के लिए अंसारी की आलोचना की।

21 जून 2015 को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। पीएम मोदी ने राजपथ पर हजारों लोगों के साथ योग किया। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी योग किया। मगर उपराष्ट्रपति होते हुए हामिद अंसारी योग दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। 

इसके अलावा 2015 में हामिद अंसारी द्वारा गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान राष्ट्रगान बजने के समय राष्ट्र ध्वज को सलामी नहीं देने पर भी काफी विवाद हुआ था।

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