तितली रानी, तितली रानी,
लगती हो तुम कितनी प्यारी।
सुंदर कोमल पंखों वाली,
तरह तरह के रंगों वाली।
कभी बाग-बगीचों में मंडराती,
कभी फूलों पर रूक जाती।
बच्चे तुम्हारे पीछे भागते,
हाथ न आती, उन्हें थकाती।
फूलों का तुम रस पीती हो,
तेज दिमाग चलाती हो।
पैरों से हो चखती स्वाद को,
जीवन मधुर बनाती हो।
तेज ठंड न तुम्हें सुहाती,
अंटार्कटिका से घबराती।
छोटा सा है जीवन तुम्हारा,
अल्पाहारी, रसभरा है खाना।
आवाज नहीं सुन पाती हो,
कंपन होते उड़ जाती हो।
- अमृता गोस्वामी