अगर आपके फ्लैट में कोई कोरोना रोगी है, तो क्या वायरस शौचालय के माध्यम से आप तक पहुंच सकता है?

By निधि अविनाश | May 11, 2021

पिछले साल वैज्ञानिकों ने माना कि कोरोना वायरस संक्रमित इंसान को छूने और ड्रोपलेट्स से फैलता है लेकिन इस साल वैज्ञानिकों की धारणा बिल्कुल बदल गई है। उनके मुताबिक, कोरोना वायरस एक डियो (Deo) की तरह काम कर रहा है यानि की थोड़ा सा छिड़काव किया और पूरा कमरा सुंगध से भर गया। जी हां, यह काफी चिंता का विषय है कि वायरस, हवा में रह सकता है, हवा की गति से फैल सकता है। उदाहरण से समझे तो यदि कोई कोरोना मरीज अलग कमरे में रहता है और रसोई में इलेक्ट्रिक चिमनी है, तो वायरस रसोई में प्रवेश कर सकता है।

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क्या आपका घर है सुरक्षित?  

अब सवाल यह उठता है कि क्या एक दूसरे के आसपास अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को एक-दूसरे से खतरा है, भले ही वे अलग-अलग रह रहे हों? वायरस एक बालकनी से गुजर कर दूसरी जगह पहुंच रहा है ऐसा कोई सबूत मिला तो नहीं है लेकिन एक तरीका है जिससे कोरोना वायरस पड़ोसियों तक पहुंच सकता है। यह तरीका है- शौचालय। जी हां, आपको बता दें कि दस्त कोविड के सामान्य लक्षणों में से एक है और रोगी के मल में आर / एनए या वायरस का आनुवंशिक कोड पाया जाता है। यदि कोरोना वायरस रोगी के मल में रहता है और संक्रमित करने की क्षमता बरकरार रहती है, तो कल्पना करें क्या हो सकता है।  एक अमेरिकी अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्लशिंग के कारण मल में बुलबुले बनते हैं जिससे वायरस हवा में छोड़ दिया जाता है। यह हार्वर्ड विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में स्वस्थ भवन कार्यक्रम के निदेशक जोसेफ जी एलन का मानना है। 

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ऐसा होना संभव!

एलन का कहना है कि फ्लशिंग के प्रति क्यूबिक मीटर में 1 मिलियन कण पाए जाते हैं। बेशक, सभी वायरस उनमें नहीं होते हैं। ऑफिस या रेस्तरां में शौचालय बाद में लोगों के लिए खतरा बन जाता है। इसी बीच अगर कोई कोरोना संक्रमित शौचालय का उपयोग करता है और फिर आप उसी शोचालय का इस्तेमाल करते हैं तो आप संक्रमण हो सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि एक फ्लैट से दूसरे शौचालय में वायरस कैसे पहुँचाया जा सकता है? अब आप इसे एक उदाहरण से समझें। अमॉय गार्डन हांगकांग में एक 50 मंजिला इमारत है। 2003 में जब SARS महामारी शुरू हुई तो इमारत के 342 निवासी बीमार पड़ गए, जिनमें से 42 की मौत हो गई। वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि वायरस अमॉय बिल्डिंग में नलों के माध्यम से आया था। बता दें कि इस इमारत में एक शख्स को दस्त थे और उसने शोचालय का उपयोग भी किया था जिसके कुछ दिनों बाद ही सार्स महामारी से कई लोग संक्रमित हुए थे।न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले 187 संक्रमित लोगों में से 99 अकेले बिल्डिंग ई में रह रहे थे, जहां संक्रमित व्यक्ति रहता था, लेकिन अधिकांश मामले रोगी के फ्लैट में पाए गए। 

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