चीन को भारत के साथ और समग्र रिश्ता बनाना चाहिए: विशेषज्ञ

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Aug 31, 2016

बीजिंग। भारत और अमेरिका के एक अहम सैन्य साजो-समाज समझौता पर हस्ताक्षर करने पर एक प्रभावशाली चीनी विद्वान ने कहा है कि यह कदम चीन के लिए आपसी गलतफहमी दूर करने के वास्ते भारत के साथ ज्यादा समग्र संबंध विकसित करना अनिवार्य बनाएगा। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर द्वारा ‘साजो-समान विनिमय समझौता ज्ञापन’ पर हस्ताक्षर किए जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय से संबद्ध चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्परेरी इंटरनेशनल रिलेशंस के निदेशक हू शिशेंग ने कहा कि अमेरिका-भारत रणनीतिक गठबंधन चीन के लिए समस्याएं खड़ी करेगा। अमेरिका और भारत के इस कदम पर चीन की सरकारी मीडिया ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका-भारत गठबंधन से चीन-भारत संबंध में कुछ समस्याएं आएंगी। बाद में अमेरिका कुछ अशांति पैदा करने के लिए अपनी एशिया-प्रशांत क्षेत्र रणनीति में भारत की मदद मांग सकता है। यदि भारत अमेरिका से गहराई से जुड़ गया तो वह मना नहीं कर सकता।''

 

हू ने कहा कि ऐसी स्थिति को टालने के लिए ‘‘चीन भारत के साथ नजदीकी रिश्ते विकसित करने और संबंधों में स्थायित्व लाने के लिए अमेरिकी नीति पर नजर रखेगा। यह चीन की रणनीति से काफी नजदीकी से जुड़ा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम एक दूसरे के पड़ोसी हैं। हम एक दूसरे को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकते हैं जबकि अमेरिका बहुत दूर है। अतएव भारत के साथ और ज्यादा समग्र संबंध बनाना चीन के लिए अनिवार्य है और चीन अन्य कुछ देशों के साथ मिलकर भारतीय विदेश नीति पर कड़ी नजर बनाए रखेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अचानक तीखी प्रतिक्रिया देना चीन के लिए बेहतर नहीं है। इस प्रकार की गलत धारणा और गलतफहमी पैदा हो रही हैं। शीर्ष चीनी नेताओं और दोनों देशों के नीति निर्माताओं को गलतफहमियों को दूर करने के लिए और यात्राएं एवं संवाद करना होगा।’’ हू का बयान बलूचिस्तान और 46 अरब डालर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए बयान पर उनकी दो दिन पहले की टिप्पणी के बिल्कुल विपरीत है। हू ने कहा था कि यदि इस महत्वाकांक्षी आर्थिक गलियारे को बाधित करने में भारतीय कारक पाया जाता है तो चीन सैन्य रूप से शामिल हो सकता है और पाकिसतान के साथ मिलकर संयुक्त कदम उठा सकता है।

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