By अभिनय आकाश | Jul 15, 2025
भारत ने एक बार फिर से अपना कूटनीतिक जलवा दिखाया है। भारत ने सऊदी अरब के साथ ऐसी डील के दी कि चीन हाथ मिलता रह गया। 3.1 मिलियन टन डीएपी फर्टिलाइजर की डील, हेल्थ फार्मा सेक्टर में गहराता रिश्ता और रणनीति का नया अध्याय। 11 से 13 जुलाई तक केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने सऊदी अरब के दमाम और रियाद का दौरा किया। इस यात्रा में उन्होंने सिर्फ हाथ नहीं मिलाए, बल्कि भारत की खाद्य सुरक्षा को पक्का किया। भारत के प्रतिनिधिमंडल में फर्टिलाइजर विभाग के सचिव और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। उनकी एक ही प्राथमिकता डीएपी और यूरिया जैसी उवर्रकों की लॉन्ग टर्म सुरक्षा थी। इसके साथ ही एक ऐसा ऐतिहासिक समझौता भी दोनों देशों ने किया, जिसने चीन और पाकिस्तान जैसे देशों की नींद उड़ा दी है।
भारतीय उर्वरक कंपनियों आईपीएल, कृभको और सीआईएल ने सऊदी अरब की खनन कंपनी मादेन के साथ इस वित्त वर्ष से पांच वर्षों के लिए प्रति वर्ष 3.1 मिलियन मीट्रिक टन डीएपी उर्वरक की आपूर्ति के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें आपसी सहमति से पांच वर्ष के विस्तार का प्रावधान भी है। इस समझौते पर रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किये गये। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि यह महत्वपूर्ण डीएपी उर्वरक की उपलब्धता में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है, जिससे मध्यम से दीर्घावधि में खाद्य सुरक्षा का लक्ष्य सुनिश्चित होता है। चीन उन देशों में से एक है जिन पर भारत डीएपी आपूर्ति के लिए निर्भर रहा है, और सरकार यूरिया के बाद भारत में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले उर्वरक के लिए इस देश पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है।
चीन का नाम लिए बिना, एक सूत्र ने कहा कि ऐसे समय में जब कुछ देश उर्वरक आपूर्ति में प्रतिबंधात्मक रुख अपना रहे हैं, रियाद की प्रतिबद्धता दर्शाती है कि भारत के मित्र और साझेदार आवश्यकताओं को पूरा करने और भविष्य के निवेशों पर सहयोग करने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि नड्डा की यात्रा ने अप्रैल में प्रधानमंत्री मोदी की जेद्दा की राजकीय यात्रा के बाद सऊदी अरब के साथ विस्तारित रणनीतिक साझेदारी को और गति प्रदान की है। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के दायरे को व्यापक बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया, ताकि इसमें डीएपी के साथ यूरिया जैसे अन्य प्रमुख उर्वरकों को भी शामिल किया जा सके, जिसका उद्देश्य भारत की उर्वरक सुरक्षा सुनिश्चित करना है।