Abraham Accords 2.0: ईरान, गाजा, इजरायल, व्हाइट हाउस में ट्रंप और सऊदी प्रिंस की सीक्रेट मीटिंग में क्या डील हुई

व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम से चुपचाप मिले। केबीएस कोई छोटा मोटा नाम नहीं है। ये सऊदी के ताकतवर शख्स मोहम्मद बिन सलमान यानी एमबीएस के छोटे भाई हैं। यानी ये जो भी बात कर रहे थे वो सीधा सऊदी के किंगडम की टॉप लीडरशिप की तरफ से थी।
एक तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दूसरी तरफ सऊदी अरब के सबसे ताकतवर शहजादे के छोटे भाई डिफेंस मिनिस्टर खालिद बिन सलमान बैठे थे। ये कोई आम मुलाकात नहीं थी। ये इतनी सीक्रेट थी कि इसे दुनिया की नजरों से बचाकर रखा गया। इस सीक्रेट मीटिंग का खुलासा फॉक्स न्यूज ने किया। उनके सूत्रों ने कंफर्म किया कि गुरुवार को सऊदी के रक्षा मंत्री प्रिंस खालिद बिन सलमान जिन्हें केबीएस भी कहा जाता है, व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप और उनकी टीम से चुपचाप मिले। केबीएस कोई छोटा मोटा नाम नहीं है। ये सऊदी के ताकतवर शख्स मोहम्मद बिन सलमान यानी एमबीएस के छोटे भाई हैं। यानी ये जो भी बात कर रहे थे वो सीधा सऊदी के किंगडम की टॉप लीडरशिप की तरफ से थी।
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खुफिया मुलाकात में बात क्या हुई?
सूत्रों के मुताबिक टेबल पर तीन सबसे बड़े और गर्म मुद्दे थे। पहला और सबसे गर्म मुद्दा ईरान का था। दोनों के बीच इस बात पर चर्चा हुई कि ईरान के साथ बढ़ते तनाव को कैसे कम किया जाए और उसे बातचीत की टेबल पर कैसे लाया जाए। ट्रंप प्रशासन ईरान को लेकर सख्त रहा है। दरअसल, आपको बता दें कि ईरान और सऊदी की दुश्मनी काफी पुरानी है। 1938 में ये कहानी शुरू होती है जब सऊदी अरब की रेत में तेल का भंडार मिलता है। 1945 में अमेरिका ने डील की कि तुम हमे तेल दो हम तुम्हें हथियार और हिफाजत देंगे। तेल की भूख बढ़ती गई और अमेरिका और सऊदी की दोस्ती भी बढ़ती गई। फिर 1973 की अरब इजरायल जंग में अमेरिका ने खुलकर इजरायल का साथ दिया। अरब देश खासकर सऊदी अरब भड़क उठे। तेल की सप्लाई रोक दी। अमेरिका में महंगाई आसमान छूने लगी। फिर अमेरिका ने सऊदी से हाथ मिला लिया। दूसरी ओर ईरान में शाह रजा पहलवी की सरकार अमेरिका की गोद थी। हथियार दिए गए। 1989 खुमैनी की इस्लामिक क्रांति के बाद बदलाव आया और अमेरिका को ईरान का सबसे बड़ा दुश्मन घोषित किया गया। सऊदी और ईरान की दुश्मनी की शुरुआत यहीं से हुई। एक तरफ सुन्नी बादशाहत तो दूसरी तरफ शिया का झंडा बुलंद था। बैठक सऊदी अरब के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि वह इजरायल और ईरान के बीच हाल ही में 12 दिनों तक चले युद्ध के बाद क्षेत्र में तनाव कम करना चाहता है।
तनाव कम करने और शांति पर ध्यान केंद्रित
मीटिंग में दूसरा मुद्दा गाजा का था। कथित तौर पर वार्ता में गाजा में युद्ध को समाप्त करने, शेष बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत करने और मध्य पूर्व में शांति की दिशा में काम करने जैसे व्यापक मुद्दों पर भी चर्चा हुई। ट्रम्प प्रशासन आने वाले महीनों में सऊदी अरब और इजरायल के बीच एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर जोर देना चाहता है। फॉक्स न्यूज ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया कि बैठक में न केवल इजरायल के साथ सऊदी अरब के संबंधों को सामान्य बनाने के बारे में बात की गई, बल्कि इस तक पहुंचने के लिए आवश्यक कदमों के बारे में भी बात की गई।
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इजरायल से कैसे रिश्ते बेहतर हो
तीसरा और सबसे दिलचस्प मुद्दा इजरायल का बताया जा रहा है। हालांकि मीटिंग सिर्फ इजरायल के लिए नहीं थी, लेकिन इस पर खुलकर बात हुई कि इजरायल और सऊदी अरब के बीच के रिश्ते समान्य करने के लिए क्या क्या कदम उठाने होंगे। सबसे चौंकाने वाली बात जो सूत्रों ने बताई कि हर मोर्चे पर तरक्की हुई और माहौल बेहद पॉजिटिव था। इसका सीधा मतलब है कि ट्रंप और सऊदी प्रिंस हर मुद्दे पर एक ही पेंच पर हैं।
अब्राहम अकॉर्ड्स 2.0 की तैयारी?
आपको ट्रंप के पहले कार्यकाल का ऐतिहासिक अब्राहिम अकॉर्ड तो याद ही होगा। इस डील के तहत पहली बार यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान जैसे मुस्लिम देशों ने इजरायल के साथ अपने रिश्ते सामान्य किए थे। ये मीडिल ईस्ट के लिए गेमचेंजर था। तब से ही सब इंतजार कर रहे थे कि इस लिस्ट में अगला और सबसे बड़ा नाम सऊदी अरब का होगा। मध्य पूर्व में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने 25 जून को कहा कि समझौतों का विस्तार करना राष्ट्रपति के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है और उन्होंने जल्द ही नए देशों के शामिल होने के बारे में बड़ी घोषणाओं की भविष्यवाणी की। पिछले हफ्ते, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने सीरिया को उन देशों में से एक बताया, जिन्हें ट्रम्प समझौते में शामिल करने के लिए उत्सुक हैं, उन्होंने इस साल की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति की मध्य पूर्व यात्रा के दौरान सऊदी अरब में उनकी ऐतिहासिक बैठक का उल्लेख किया।
सऊदी-ईरान वार्ता
सऊदी रक्षा मंत्री ने 29 जून को ईरान के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ मेजर जनरल अब्दुलरहीम मौसवी से फोन पर बात की। बिन सलमान ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि हमने क्षेत्र में विकास और सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की। एक्सियोस के अनुसार, विटकॉफ अगले सप्ताह ओस्लो में ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची से मुलाकात कर परमाणु वार्ता पुनः शुरू करने की योजना बना रहे हैं। ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अराघची ने गुरुवार को नॉर्वे के विदेश मंत्री एस्पेन ईडे से फोन पर बात कर क्षेत्रीय तनाव कम करने के प्रयासों पर चर्चा की।
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