By अभिनय आकाश | Dec 06, 2025
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को ज़ोर देकर कहा कि आतंकी हमलों के बाद पूरे समुदाय को एक ही चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। नई दिल्ली में हिंदुस्तान लीडरशिप समिट 2025 में बोलते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीरी दिल्ली में हुए हमले से उतने ही परेशान हैं जितने पहलगाम को लेकर थे। अब्दुल्ला ने कहा कि सभी कश्मीरी मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं। सभी आतंकवाद का समर्थन नहीं करते। दरअसल, वे एक बहुत ही छोटी अल्पसंख्यक आबादी हैं जो ऐसा करती है। उन्होंने वर्ष 2025 को जम्मू-कश्मीर के लिए किसी भी पैमाने पर कठिन बताया। इस संदर्भ में उन्होंने बैसरन (पहलगाम) में हुए हमले और दिल्ली में लाल किले के पास हुए विस्फोट का ज़िक्र किया, जो जम्मू-कश्मीर में रची गई एक साज़िश का नतीजा थे।
उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर में) ज़्यादातर लोग वही हैं जिन्हें आपने बैसरन (पहलगाम) में हुए हमले के बाद सड़कों पर देखा था। उन्होंने उस हमले के ख़िलाफ़ मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन का ज़िक्र किया जिसमें उस पर्यटन स्थल पर दो दर्जन से ज़्यादा लोगों की जान चली गई थी। उन्होंने कहा कि ये वो लोग हैं जो कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में हैं... जो अलग-अलग इलाकों में ईमानदारी से रोज़ी-रोटी कमाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अफसोस जताया कि अप्रैल में पहलगाम हमले ने केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था कभी भी विशेष रूप से मजबूत नहीं रही है। दुर्भाग्य से इस तरह की परिस्थितियाँ इसे और भी कठिन बना देती हैं।
उन्होंने भारत के भीतर अन्यीकरण के बारे में भी बात की, और हरियाणा के एक उदाहरण का भी ज़िक्र किया। जहाँ दिल्ली विस्फोट के बाद सरकारी आदेश जारी किया गया कि सभी विदेशी नागरिक और कश्मीरी अपने नज़दीकी पुलिस स्टेशन में पंजीकरण कराएँ। उन्होंने कहा कि जब तक वे वहाँ के नेताओं से बात कर पाते, नुकसान हो चुका था।