Election Special । Manipur में राजनीतिक स्थिरता के लिए गठबंधन है जरूरी

By अंकित सिंह | Dec 29, 2021

मणिपुर में 2022 में विधानसभा के चुनाव होने इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है। 60 सीटों वाली मणिपुर विधानसभा में फिलहाल भाजपा 28 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है जिसे कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों का समर्थन हासिल है। भाजपा सरकार को समर्थन करने वाली नेशनल पीपुल्स पार्टी के पास 4 सीटें हैं जबकि नागा पिपुल्स फ्रंट के पास 4 सीटें हैं। एक निर्दलीय विधायक का भी सरकार को समर्थन है। जबकि विपक्ष में 15 सीटों के साथ कांग्रेस है। वही एक सीट तृणमूल कांग्रेस के पास है। कुल मिलाकर देखें तो अगला चुनाव भी एनडीए बनाम यूपीए होने की संभावना है। 

 

इसे भी पढ़ें: महिला सशक्तिकरण का दूसरा नाम है मणिपुर, नड्डा बोले- महिलाओं को आगे लाकर खड़ा करती है भाजपा


मणिपुर कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था। यहां पार्टी की पकड़ बहुत अच्छी रही है। राज्य में ज्यादातर समय कांग्रेस का ही शासन रहा है। अब तक के यहां हुए चुनावों की बात करें तो ज्यादातर मुकाबला कांग्रेस और मणिपुर पीपुल्स पार्टी तथा मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी के ही बीच रहा है। पिछले विधान सभा के चुनाव में भाजपा ने भारी फेरबदल करते हुए कांग्रेस को पटखनी दी। इसके अलावा भाजपा की केंद्रीय इकाई पूर्वोत्तर पर काफी ध्यान दे रही है। ऐसे में संगठन के हिसाब से भाजपा की पकड़ यहां मजबूत हुई है। राज्य में नेशनल पीपुल्स फ्रंट की भी अच्छी पकड़ है जो फिलहाल भाजपा की सहयोगी है। 


1963 में पहली बार मणिपुर में विधानसभा के चुनाव हुए। पहले ही चुनाव में यहां कांग्रेस की जीत हुई और मैरेम्बम कोइरंग सिंह मुख्यमंत्री बने। अब तक यहां की सत्ता बारह लोगों के हाथ में गई है। सबसे ज्यादा यहां कांग्रेस की सरकारें रही हैं। कांग्रेस के ओकरम इबोबी सिंह यहां 15 वर्षों से ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं। 1977 में यहां जनता पार्टी की सरकार बनी थी। यहां 10 दफा राष्ट्रपति शासन भी रहा है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा के नेतृत्व वाली NDA की सरकार बनी और एन. बीरेन सिंह राज्य के बारहवें मुख्यमंत्री बने।

 

इसे भी पढ़ें: मणिपुर में चर्चों की राजनीति, राज्य में तेजी से बढ़ी ईसाइयों की जनसंख्‍या


उत्तर पूर्व के इस छोटे से राज्य में भले ही राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस का काफी लंबे समय तक दबदबा रहा हो लेकिन सरकार गठन में क्षेत्रीय पार्टियों की समय-समय पर बड़ी भूमिका रहती है। हाल के भी भाजपा सरकार में एनपीपी और एनपीएफ की बड़ी भूमिका है तो इससे पहले मणिपुर स्टेट कांग्रेस पार्टी, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, मणिपुर पीपुल्स पार्टी जैसे दल भी सरकार गठन में अहम साबित होते रहे हैं। इन राज्यों में कभी-कभी दलों का टूटना भी सरकार पर भारी पड़ जाता है। कई बार ऐसी स्थिति भी आती है कि पूरी की पूरी पार्टी बिखर जाती है और नेता दूसरे दलों में चले जाते है। ऐसे में सरकार की मजबूती के लिए इन दलों के साथ अच्छे संबंध रखने की जरूरत रहती है। एन. बीरेन सिंह की सरकार में भी हमने बगावत जरूर देखें परंतु भाजपा उसे शांत करने में कामयाब रही।

 

प्रमुख खबरें

Mehbooba Mufti को मत मांगने के लिए बच्ची का इस्तेमाल करने पर कारण बताओ नोटिस जारी

BSF के जवान ने अज्ञात कारणों के चलते BSF चौकी परिसर में फाँसी लगाकर की आत्महत्या

SP ने आतंकवादियों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने की कोशिश की, राम का अपमान किया: Adityanath

तापीय बिजली संयंत्रों के पास मानक के मुकाबले 68 प्रतिशत कोयले का भंडार: सरकारी आंकड़ा