By अनन्या मिश्रा | Dec 30, 2025
आजकल युवा महिलाओं में भी डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इसके पीछे गलत खानपान और खराब लाइफस्टाइल समेत कई कारण जिम्मेदार होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फैटी लिवर और पीसीओएस भी डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकती है। इन दोनों ही कंडीशन में इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ जाता है। जिसकी वजह से टाइप- डायबिटीज हो सकती है। यह दोनों हेल्थ कंडीशन्स जैसे डायबिटीज के खतरे को बढ़ाती है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि इससे बचने के लिए आपको क्या करना चाहिए।
एक्सपर्ट की मानें, तो अगर आपको पीसीओएस या फैटी लिवर है, तो इसका कारण टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। ऐसा इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह से होता है। इंसुलिन हार्मोन, जोकि ब्लड से ग्लूकोज को सेल्स में पहुंचाने में सहायता करता है और बॉडी में एनर्जी बनाए रखने के लिए जरूरी होता है।
वहीं जब सेल्स इंसुलिन के लिए सही रिस्पॉन्स नहीं देती है, तो हमारा शरीर ब्लड शुगर के लेवल को बनाए रखने के लिए इंसुलिन का अधिक सीक्रेशन रहता है। वहीं जब लंबे समय तक ऐसा होता है, तो इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह बनता है। इस प्रोसेस में होने वाले इंबैलेंस के कारण पीसीओएस और फैटी लिवर हो सकता है।
बता दें कि जब सेल्स इंसुलिन के लिए सही रिस्पॉन्स नहीं देती है, तो हमारा शरीर ब्लड शुगर के लेवल को बनाए रखने के लिए इंसुलिन का अधिक सीक्रेशन रहता है। जब लंबे समय तक ऐसा होता रहता है, तो यह इंसुलिन रेजिस्टेंस की वजह बनती है। इस प्रोसेस में होने वाले इंबैलेंस के कारण पीसीओएस और फैटी लिवर हो सकता है।
फैटी लिवर में अधिक मीठा खाने, गलत खानपान और एक्सरसाइज की कमी की वजह से लिवर सेल्स में चर्बी जमने लगती है।
इंसुलिन, अधिक वसा और ब्लड शुगर रेगुलेशन के मामले में लिवर के काम में बाधा डालती है। इस तरह से PCOS में इंसुलिन का हाई लेवल, ओवरीज में ज्यादा मेल हार्मोन बनाने के लिए प्रेरित करता है। इंसुलिन प्रतिरोध के साथ होने वाला हार्मोनल इंबैलेंस डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देती है।
वहीं फैटी लिवर बॉडी में प्रो-इंफ्लेमेटरी केमिकल पैदा करता है। जो शरीर को इंसुलिन रेजिस्टेंस बना देता है। जब फास्टिंग ब्लड शुगर बढ़ना शुरू हो जाती है, तब प्री-डायबिटीज या टाइप 2 के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है। वहीं फैटी लिवर के साथ सबसे बड़ी समस्या यह है कि शुरूआत में इसके कोई लक्षण नहीं नजर आते हैं।
बता दें कि PCOS एक मेटाबॉलिज्म डिजीज है। यह रिप्रोडक्टिव सिस्टम से जुड़ी होती है। आमतौर पर PCOS महिलाओं में मेटाबॉलिज्म इंबैलेंस की ओर इशारा करती है। इस कारण शरीर के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल करना मुश्किल होता है। वहीं उच्च कोलेस्ट्रॉल और मोटापे का खतरा बढ़ जाता है।
PCOS से पीड़ित महिलाओं में टाइप 2 मधुमेह होने की संभावना अन्य महिलाओं की तुलना में कई गुना अधिक हो सकती है।
रोजाना कम से कम 30-45 मिनट एक्सरसाइज करना चाहिए, जिससे कि इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार हो सके।
वहीं आपको बैलेंस मील लेना चाहिए। वहीं डाइट में प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट्स शामिल करें।
रिफाइंड शुगर कम से कम खाना चाहिए।
लिवर फंक्शन, ब्लड शुगर और हार्मोनल इंबैलेंस की जांच करवानी चाहिए।
वहीं अगर अचानक से आपका वेट बढ़ने लगे या फिर थकान महसूस होने लगे, तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
डायबिटीज, फैटी लिवर और पीसीओएस तीनों को मैनेज करने के लिए सही लाइफस्टाइल और सही डाइट का होना बेहद जरूरी है।