Prajatantra: हिंदुत्व के अखाड़े में BJP को कांग्रेस की चुनौती, Ram Mandir पर Kamal Nath का बड़ा दांव

By अंकित सिंह | Nov 03, 2023

मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। 17 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। जबकि नतीजे तीन दिसंबर को आएंगे। भाजपा और कांग्रेस के बीच मध्य प्रदेश में चुनावी वादों की बौछार है। हालांकि, राम मंदिर की भी चर्चा जबरदस्त तरीके से होने लगी है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा राम मंदिर को मुद्दा बनाने की कोशिश में है। चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद ही इस बात की भी घोषणा की गई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे। अब इसके बाद कांग्रेस ने अपने नरम हिंदुत्व को मध्य प्रदेश में दिखाना शुरू कर दिया है।

 

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कमलनाथ का दाव

मध्य प्रदेश में कमलनाथ लगातार नरम हिंदुत्व को लेकर चलते रहते हैं। इसी कड़ी में राम मंदिर को लेकर हो रही राजनीति के बीच एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कमलनाथ ने दावा किया कि अयोध्या में राम मंदिर का ताला राजीव गांधी ने ही खोला था। उन्होंने कहा कि हमें इतिहास नहीं भूलना चाहिए। राम मंदिर किसी एक पार्टी या व्यक्ति का नहीं है। यह हमारे पूरे देश और हर नागरिक का है। कमलनाथ ने आरोप लगाया कि भाजपा राम मंदिर को अपनी संपत्ति समझ कर इसे हड़पना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इसे अपने घर से तो नहीं बनाया है। सरकार के पैसों से बनाया गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस श्रीलंका में सीता माता मंदिर बनवाने का अपना वादा निभाएगी। इससे पहले भी कमलनाथ ने भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा था कि वे राम मंदिर के बारे में ऐसे बयान दे रहे हैं जैसे की वह उन्हीं का राम मंदिर हो। यह हमारे देश का मंदिर है। यह हमारे सनातन धर्म का बहुत बड़ा प्रतीक है। क्या यह किसी पार्टी का है?


भाजपा और कांग्रेस के बीच खींचतान

भाजपा) द्वारा अयोध्या में राममंदिर के निर्माण का श्रेय लेने वाले होर्डिंग लगाने पर कांग्रेस द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद इस चुनावी राज्य में एक वाकयुद्ध छिड़ गया। भाजपा ने कहा कि ‘‘कांग्रेस राममंदिर निर्माण को लेकर दुखी है’’, जबकि विपक्षी दल ने उस पर भगवान राम की भक्ति से भटकने का आरोप लगाया। कांग्रेस की इंदौर इकाई ने भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से शिकायत की कि भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए, अयोध्या में राममंदिर और उज्जैन में महाकाल लोक का प्रदर्शन करके धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल किया। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस की शिकायत को सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर साझा करते हुए उस पर ‘‘राम विरोधी’’ होने का आरोप लगाया। सीएम शिवराज ने भी पूछा कि कांग्रेस को भगवान राम और राम मंदिर से क्या दिक्कत है। कांग्रेस का कहना है कि भगवान राम राजनीति का विषय कैसे हो सकते हैं? क्या भगवान श्रीराम की कोई पार्टी हो सकती है? जो लोग भक्ति के मार्ग से भटक गए हैं और जिनकी बुद्धि भी भ्रष्ट हो गई है, उन्हें भगवान राम के चरणों में बैठकर ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। भगवान श्रीराम दलगत राजनीति का विषय नहीं हो सकते।


ओवैसी का वार

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि कमलनाथ ने साबित कर दिया है कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस में कांग्रेस की बीजेपी और RSS के बराबर भूमिका थी... कांग्रेस और बीजेपी दोनों हिंदुत्व की विचारधारा पर काम करते हैं... अब, हमें उम्मीद है कि पीएम मोदी ऐसा करेंगे। जनवरी में जब राहुल गांधी किसी कार्यक्रम में जाएं तो उन्हें अपने साथ ले जाएं, राम-श्याम की जोड़ी अच्छी रहेगी।


राम मंदिर मुद्दा क्यों

मध्य प्रदेश में राम मंदिर इस बार बड़ा मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है। इसका बड़ा कारण हिंदुत्व का एजेंडा है। कांग्रेस ने चुनाव के दौरान सीता मंदिर बनाने, राम पथ गमन योजना, केवटराज की मूर्ति बनाने, श्राद्ध कर्म में हर हिंदू को फंड मुहैया कराने आदि का वादा करके अपना हिंदुत्व कार्ड तो चल दिया। लेकिन उसका बड़ा दांव बीजेपी को इस मामले को लेकर बैक फुट पर लाना था। इसी के जवाब में भाजपा ने राम मंदिर को ही एक बड़ा मुद्दा बनाते हुए इसे भुनाना शुरू कर दिया। राम मंदिर का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह अपने भाषणों में करने लगे। इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान भी राम मंदिर को लेकर लगातार बातें कह रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस की ओर से भी नरम हिंदुत्व का रुख अपनाया जा रहा है। हमने शुरुआत में ही देखा कि कैसे कमलनाथ ने बागेश्वर बाबा को छिंदवाड़ा में बुलाया था। उन्होंने यह भी कह दिया था कि जिस देश में ज्यादा हिंदू है। वहां हिंदू राष्ट्र का सवाल ही नहीं होता। वहीं, कांग्रेस के लिए जब पहली बार प्रियंका प्रचार के लिए जबलपुर पहुंची थीं तब उन्होंने नर्मदा आरती की था। 

 

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मध्य प्रदेश में हिंदू वोटरों की तादाद ज्यादा है। यही कारण है कि हिंदुओं को साधने की कोशिश हर पार्टी की ओर से किया जा रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में हर पांचवीं सीट पर 3% से कम वोटो पर जीत हार का फैसला हुआ था। यही कारण है कि हिंदुत्व वाले दाव को हर पार्टी अपने साथ रखना चाहती है। यही तो प्रजातंत्र है। 

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