कांग्रेस ने महाभियोग प्रस्ताव से मनमोहन सिंह को रखा दूर, विवाद शुरू

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 20, 2018

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने आज दावा किया कि विपक्षी दलों की ओर से देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग चलाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले सदस्यों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को रणनीति के तहत शामिल नहीं किया गया है जिसके बाद विवाद शुरू हो गया। यह पहला अवसर है जब देश के प्रधान न्यायाधीश को पद से हटाने के लिये उन पर महाभियोग चलाने के प्रस्ताव का नोटिस दिया गया है।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने आज राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को विपक्षी दलों की ओर से महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस सौंपने के बाद संवाददाता सम्मेलन में बताया कि डा. सिंह सहित अन्य प्रमुख नेताओं को जानबूझ कर इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया है। प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं के नाम पर पार्टी में मतभेद के सवाल पर सिब्बल ने कहा ‘‘इस बारे में पार्टी में विभाजन जैसी कोई बात नहीं है। डा. सिंह पूर्व प्रधानमंत्री हैं इसलिये हमने जानबूझ कर उन्हें इस प्रक्रिया में शामिल नहीं किया है।’’ 

 

सिब्बल ने स्पष्ट किया कि डा. सिंह ही नहीं बल्कि कुछ अन्य ऐसे वरिष्ठ नेताओं को भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में शामिल नहीं किया है जिनके खिलाफ न्यायालय में मामले लंबित हैं। संसद के बजट सत्र में विपक्षी दलों की ओर से प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस की कवायद शुरू होने के बाद सभापति को नोटिस सौंपने के लिये अब तक इंतजार करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि गत 12 जनवरी को उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर सहित चार न्यायाधीशों ने न्यायपालिका में व्यवस्था संबंधी प्रश्न उठाये थे। 

 

सिब्बल ने कहा ‘‘तब हम इस उम्मीद में चुप रहे कि प्रधान न्यायाधीश अन्य न्यायाधीशों द्वारा उठाये गये मुद्दों पर संज्ञान ले कर कारगर कदम उठायेंगे। तब से अब तक तीन महीने के इंतजार के बाद भी कुछ नहीं होने पर हम न्यायपालिका की स्वायत्तता पर मंडराते खतरे को देखकर चुप नहीं बैठे रह सकते थे। अब हमें भारी मन से यह कदम उठाना पड़ा।’’

 

सभापति द्वारा प्रस्ताव के नोटिस को स्वीकार अथवा अस्वीकार करने की स्थिति में भविष्य की रणनीति के सवाल पर सिब्बल ने कहा नोटिस में प्रधान न्यायाधीश के विरुद्ध लगाये गये आरोपों की गंभीरता को देखते हुये इसे स्वीकार किये जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा ‘‘अगर सभापति प्रस्ताव के नोटिस को खारिज करते हैं तो संविधान में हमारे लिये इसके विकल्प के रूप में अन्य तमाम रास्ते मौजूद हैं। फिलहाल हमें सभापति के रुख का इंतजार है।’’

 

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