By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Feb 12, 2018
कांग्रेस ने आज आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मांग की कि वह सशस्त्र बलों के बारे में अपने बयान को लेकर देश से माफी मांगे। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या वह देश की सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी आरएसएस को देने के बारे में सोच रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने आरएसएस प्रमुख के बयान को ‘‘चौंकाने एवं चिंतित करने वाला तथा देश की जनता को विचलित करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह सबसे पहले तिरंगे का और दूसरा भारत की सेना का अपमान है।''
उन्होंने भारतीय सेना की तमाम उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि यह दुनिया की बड़ी सेनाओं में से एक है और यह बयान उसके मनोबल को तोड़ने वाला है। उन्होंने पिछले दो दिन में जम्मू कश्मीर सुंजवां में सेना के शिविर और एक सीआरपीएफ केन्द्र पर हुए आतंकी हमले में शहीद होने वाले सैन्य कर्मियों के प्रति शोक जताते हुए कहा कि पूरा देश सेना और हमारे अर्द्धसैनिक बलों के साथ खड़ा हुआ है और उनकी कुर्बानी का पूरा सम्मान करता है। शर्मा ने कहा कि ऐसे समय में जब सेना की छावनियों और अद्धसैनिक बलों के ठिकानों पर हमला हो रहा हो, संघ प्रमुख का यह बयान आपत्तिजनक और चिंताजनक है।
शर्मा ने कहा कि गांधी हत्या के बाद प्रतिबंध लगने के कारण आरएसएस ने तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभाई पटेल को दिये एक हलफनामे में कहा था कि वह एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है। उसकी इस स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। यह बात सर्वविदित है कि भाजपा आरएसएस का राजनीतिक संगठन है किंतु सारे निर्णय मूल संगठन में किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार देश की आंतरिक और विदेशी हमलों से सुरक्षा करने के लिए सेना और अर्द्धसैनिक बलों के अलावा किसी अन्य संगठन का स्थान या भूमिका नहीं है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में हमने देखा है कि जहां भी मिलीशिया बने हैं वे देश तबाह हो गये हैं। विश्व के किसी भी प्रजातंत्र में देश की सुरक्षा के लिए लड़ने वाले निजी मिलीशिया का कोई स्थान नहीं है।
शर्मा ने कहा कि इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। उन्हें यह बताना चाहिए कि क्या वह भारत की सुरक्षा का काम आरएसएस को देने के बारे में सोचने के बारे में सोच रहे हैं? उन्होंने यह भी कहा कि आरएसएस मुखिया मोहन भागवत को भारतीय फौज और देश से माफी मांगनी चाहिए। उनके बयान ने सेना में की क्षमता और शौर्य पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। संघ प्रमुख भागवत ने रविवार को बिहार के मुजफ्फरपुर से संघ कार्यकताओं को संबोधित करते हुए कहा था, ‘‘सेना को सैन्यकर्मियों को तैयार करने में छह—सात महीने लग जाएंगे, लेकिन संघ के स्वयं सेवकों को लेकर यह तीन दिन में तैयार हो जाएगी। यह हमारी क्षमता है पर हम सैन्य संगठन नहीं, पारिवारिक संगठन हैं लेकिन संघ में मिलिट्री जैसा अनुशासन है। अगर कभी देश को जरूरत हो और संविधान इजाजत दे तो स्वयं सेवक मोर्चा संभाल लेंगे।’’