चुनावों की योजना के लिए कांग्रेस केंद्रीय समिति के गठन की योजना पर कर रही विचार

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jun 28, 2021

लोकसभा चुनावों से लेकर विधानसभा चुनावों में बुरी तरह से हार का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी अब नई योजना बना रही है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तैयारी के लिए कांग्रेस पार्टी की केंद्रीय चुनाव रणनीति और प्रबंधन समिति का  गठन कर सकती है। सूत्र ने बताया कि पार्टी का कोई वरिष्ठ नेता इस समिति की अध्यक्षता कर सकता है।


चुनावों के लिए पार्टी में एक केंद्रीय सिस्टम की मांग उठ रही थी जो सिर्फ महत्वपूर्ण कामों पर ही अपना पूरा ध्यान दे सके। प्रस्तावित समिति से यह उम्मीद जताई जा रही है कि वह चुनाव को प्रासंगिक तरीके से होने से रोकें और चुनावी चुनौतियों पर अग्रिम ध्यान और योजना सुनिश्चित करें।


लोकसभा के साथ विधानसभा चुनावों पर भी काम करना जरुरी


रणनीति और नेतृत्व के अलावा पैनल को अन्य राजनीतिक संगठनों के साथ गठबंधन की व्यवहार्यता और स्वीकार्यता पर चर्चा करने का काम भी सौंपा जा सकता है। पार्टी के कार्यकारी सूत्र ने कहा कि समिति को 2024 के लोकसभा चुनावों पर तो काम करना ही है साथ ही साथ विधानसभा चुनावों पर काम करना भी जरुरी है।


सूत्र ने कहा कि अभी इस पर काम किया जा रहा है और आने वाले दिनों में इसे पूरा कर लिया जाएगा। पार्टी द्वारा केंद्रीय चुनाव रणनीति और प्रबंधन समिति बनाए जाने का मुख्य कारण हाल के चुनावों में मिली हार और गठबंधन को लेकर हुआ विवाद है। जहां पार्टी ने केरल, असम और पश्चिम बंगाल में धूल झोंक दी, वहीं असम में एक मौलवी द्वारा शुरू किए गए मुस्लिम संगठन के साथ गठबंधन करने के फैसले पर भी एक बड़ा विवाद था।


पार्टी नेताओं ने बंगाल में लिए गए कदम की आलोचना की थी


पार्टी के इस कदम की कांग्रेस नेताओं ने आलोचना करते हुए कहा कि यह पार्टी के मूल सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। अंत में पार्टी बंगाल में एक सीट भी नहीं जीत सकी और आईएसएफ के साथ गठबंधन करने के विरोध का भी सामना करना पड़ा।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने विधानसभा चुनावों में गठबंधन के फैसले को राज्य इकाइयों नहीं बल्कि केंद्रीय समिति द्वारा लिए जाने का सुझाव दिया।   


पार्टी नेताओं राजीव शुक्ला और जितेंद्र प्रसाद ने चुनाव से संबंधित मुद्दों को लंबे समय से चली आ रही पार्टी पद्वती के बजाय पहले से काम किए जाने की मांग की। अशोक चव्हाण कमिटी की चुनावो में बुरी तरह हार से भी यही सीख मिलती है कि चुनावों के लिए पहले से ही तैयारी की जाए।   

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