कांवड़ यात्रा पर भी पड़ सकता है कोरोना का साया, राज्यों को गंगाजल भेजने की तैयारी में उत्तराखंड सरकार

By अंकित सिंह | Jun 19, 2020

इस सावन भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने की इच्छा रखने वाले भक्तों को निराशा हो सकती है। दरअसल कोरोना संकट के कारण कावड़ यात्रा पर असर पड़ सकता है। सावन माह की अमावस्या पर होने वाले शिवरात्रि के त्यौहार पर हर साल करोड़ों श्रद्धालु गंगा जल भरने हरिद्वार जाते हैं। इस साल शिवरात्रि 19 जुलाई के जुलाई को है। लेकिन ना ही इसे लेकर प्रशासन कोई तैयारी कर रहा है और ना ही भक्तों में पहले वाला उत्साह दिख रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण देश में जारी कोरोना संकट है। कोरोना संकट के कारण देश के विभिन्न मंदिर 2 महीने तक बंद रहे। कुछ नियम कायदों के साथ इन्हें 8  जून से खोलने की इजाजत दी गई है। हालांकि अभी भी भक्तों में मंदिर जाने को लेकर वह उत्साह दिखाई नहीं पड़ रहा है।

 

इसे भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश में कोरोना से 23 और लोगों की मौत, संक्रमण के 604 नए मामले


हालांकि इस कावड़ यात्रा को लेकर सरकार की ओर से कोई निर्णय अब तक नहीं लिया गया है। सरकार भी कावड़ यात्रा को लेकर फिलहाल खामोश है और पशोपेश में है। माना जा रहा है कि हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार के लिए कावड़ यात्रा को रद्द करना मुश्किल भरा कदम साबित हो सकता है। हालांकि कोरोना महामारी के कारण इस यात्रा पर पाबंदियां जरूर लगाई जा सकती है। आने वाले दिनों में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर वार्ता के जरिए इसका रास्ता निकालेंगे। यह वार्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाएगी। उत्तराखंड में हर वर्ष कावड़ यात्रा के लिए करोड़ों की संख्या में कावड़िया दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से भारी तादाद में आते है।

 

इसे भी पढ़ें: योगी आदित्यनाथ का अधिकारियों को निर्देश, कहा- कोरोना जांच क्षमता बढ़ाकर 25 हजार प्रतिदिन की जाए


उत्तराखंड के हरिद्वार में सावन के समय भक्तों की इतनी भीड़ हो जाती है कि पूरे शहर को बंद करना पड़ सकता जाता है। हालांकि तीनों मुख्यमंत्रियों की बैठक में बीच का रास्ता भी निकाला जा सकता है। कोरोना के चलते सरकार इतनी तादाद में कांवरियों को राज्य में आने की अनुमति देने की स्थिति में नहीं है। कावड़ यात्रा के समय हरिद्वार में भक्तों की बड़ी भीड़ होती है। इसके लिए सरकार वैकल्पिक बंदोबस्त पर विचार करना शुरू कर चुकी है। सरकार के प्रवक्ता व कबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि उत्तराखंड सरकार गंगाजल को ट्रक से कावड़ यात्रियों वाले राज्यों में पहुंचाने की व्यवस्था कर सकती है। हालांकि उत्तराखंड सरकार के इस विचार को तभी अमल में लाया जा सकता है जब हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सरकार इसे मंजूरी प्रदान करेगी।

 

इसे भी पढ़ें: हर जिले में कोरोना टेस्टिंग लैब बनाने की कार्य योजना पेश की जाए: योगी


उधर, झारखंड के देवघर में लगने वाले श्रावणी मेले पर भी कोरोना संकट का असर पड़ सकता है। फिलहाल श्रावणी मेले को लेकर बिहार सरकार और झारखंड सरकार के बीच बातचीत जारी है। पूरे सावन में वहां पर बाबा के भक्त जल चढ़ाने जाते हैं। दोनों राज्यों के लिए ठोस निर्णय ले पाना मुश्किल भरा काम लगता है। झारखंड और बिहार जैसे राज्य के लिए श्रावणी मेला आय का भी बड़ा स्रोत है। देखना होगा कि श्रावणी मेला को लेकर दोनों ही सरकार किस नतीजे पर पहुंच पाती हैं। इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 महामारी के मद्देनजर इस साल पुरी में 23 जून से आयोजित होने वाली ऐतिहासिक जगन्नाथ रथ यात्रा और इससे संबंधित गतिविधियों पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी। न्यायालय ने कहा कि अगर हम इसकी अनुमति देते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे।

प्रमुख खबरें

Paris Olympics 2024: कौन है स्टार एथलीट MR Poovamma? जो डोप में फंसी, बैन लगा लेकिन टूटी नहीं और बनी सब के लिए उदाहरण

राजस्थान के कई इलाकों में लू चलने की चेतावनी, तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का अनुमान

Gautam Adani ने अहमदाबाद में किया मतदान, वोट डालने के बाद ये बोले दिग्गज उद्योगपति

Ananya Birla ने बड़ी घोषणा करते हुए चुना बिजनेस, भारी मन से अपने पैशन को कहा अलविदा