By अंकित सिंह | Jul 24, 2025
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को एक नई राष्ट्रीय सहकारी नीति का अनावरण किया, जो पिछले 23 वर्षों से लागू एक नीति का स्थान लेगी। यह उस विभाग के लिए एक और मील का पत्थर साबित होगी जिसकी भूमिका नरेंद्र मोदी सरकार के तहत लगातार बढ़ रही है। सहकारिता मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, नई नीति देश में सहकारिता को मजबूत करने के केंद्र के उद्देश्य का हिस्सा है और 2025-45 तक यानी अगले दो दशकों के लिए भारत के सहकारिता आंदोलन में एक मील का पत्थर साबित होगी।
अमित शाह ने कहा कि आज राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025 का शुभारंभ हुआ है। 2002 में, भारत सरकार ने सहकारिता नीति पेश की थी। उस समय भाजपा की सरकार थी। और आज, 2025 में, भाजपा सरकार द्वारा दूसरी सहकारिता नीति लाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार का दृष्टिकोण, जो भारत को, उसके विकास को, और भारत के विकास के लिए आवश्यक सभी कारकों को समझता है, वही सहकारी क्षेत्र को महत्व दे सकता है...यदि देश और अर्थव्यवस्था की मूल इकाई समृद्ध, रोजगारयुक्त और संतुष्ट है, तो वह आर्थिक मॉडल कभी विफल नहीं हो सकता।
शाह ने जोर देकर कहा कि सहकारिता नीति बनाते समय इस बात का ध्यान रखा गया कि नीति का केंद्रबिंदु लोग, गाँव, कृषि, गाँव की महिलाएँ, दलित, आदिवासी हों। एक वाक्य में कहें तो इसका विज़न सहकारिता की समृद्धि के माध्यम से 2047 तक एक विकसित भारत का निर्माण करना है। इसका मिशन पेशेवर, पारदर्शी, तकनीकी, ज़िम्मेदार और आर्थिक रूप से स्वतंत्र तथा सफल लघु सहकारी इकाइयाँ विकसित करना है। हम हर गाँव में कम से कम एक सहकारी संस्था के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने 2027 में भारत को विश्व के तीसरे नंबर का अर्थतंत्र बनाने का लक्ष्य रखा है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम इस लक्ष्य तक जरुर पहुंच जाएंगे। सबका सामूहिकता के साथ विकास हो, सबका समविकास हो और सबके विकास के माध्यम से देश का विकास हो- ऐसा मॉडल बनाना भारत का और भाजपा का मूल विचार है। इसलिए मोदी जी ने सहकारिता मंत्रालय बनाया। उन्होंने कहा कि विगत 4 वर्षों में सहकारिता मंत्रालय की अनेक उपलब्धियां रही, मगर इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है कि आज देश की छोटी से छोटी सहकारी इकाई का सदस्य गर्व के साथ खड़ा हो गया है।
गृह मंत्री ने कहा कि चार वर्षों के अंदर 'कोआपरेटिव सेक्टर' ने 'कॉर्पोरेट सेक्टर' के समान अधिकार मिले हैं। एक जमाने में अर्थतंत्र के जानकारों ने सहकारिता को डायिंग सेक्टर घोषित कर दिया था। आज वही लोग कहते हैं कि सहकारिता का भी फ्यूचर है। लेकिन मैं सभी को कहना चाहता हूँ कि सहकारिता का भी फ्यूचर है नहीं, सहकारिता का ही फ्यूचर है। उन्होंने कहा कि देश के 140 करोड़ लोगों को साथ लेकर देश का समविकास करने की क्षमता केवल सहकारिता में ही है। छोटी-छोटी पूंजी वाले अनेक लोगों को मिलाकर बड़ी पूंजी बनाकर एक उद्यम स्थापित करने की क्षमता केवल सहकारिता में है। सहकारी नीति बनाते समय यह ध्यान में रखा गया कि नीति का केंद्र-बिंदु व्यक्ति हो... हमारे किसान, दलित और महिलाएं हो।